दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी को राष्ट्रपति ने उनके पद से निलंबित कर दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दो नियुक्तियों को लेकर विवाद चल रहा था। इस मामले की और वीसी के खिलाफ जांच होनी है।
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि प्रोफेसर त्यागी जांच को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें सस्पेंड किया गया है। प्रोफेसर त्यागी की जगह प्रोफेसर पीसी जोशी अभी काम संभालेंगे।
ये है पूरा मामला
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश त्यागी पर लगे आरोपों की जांच अब कमेटी करेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रो. त्यागी के कुलपति के रूप में पांच साल के कार्यकाल में लगे आरोपों की जांच करवाने के लिए समिति गठित करने को मंजूरी दे दी है।
मंत्रालय बुधवार को जांच कमेटी गठित किया। वहीं, मंत्रालय ने जांच प्रभावित होने से रोकने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से कुलपति प्रो. त्यागी को छुट्टी पर भेजने की पहले ही सिफारिश की थी जिसके बाद राष्ट्रपति ने बुधवार(28 अक्तूबर) वीसी को निलंबित कर दिया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. योगेश त्यागी पर कुलपति पद पर रहने के दौरान कई आरोप और शिकायतें मिली हैं। इसमें कुलपति पद पर रहने के दौरान अनियमितता, भ्रष्टाचार आदि की शिकायतें हैं। मंत्रालय की समिति इन्हीं शिकायतों की जांच करेगी। इसके अलावा पांच साल के कार्यकाल में किए गए कार्यों की भी समीक्षा की जाएगी।
इससे पहले मंत्रालय दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता को 22 नवंबर को पत्र लिखकर प्रो. त्यागी के दोबारा कार्यालय आने से पहले मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देने का निर्देश दे चुका है। ऐसे में जब तक कुलपति प्रो. त्यागी मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं देंगे, दोबारा कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं शुरू नहीं कर पाएंगे।
15 मार्च को कार्यकाल हो रहा समाप्त:
प्रो. योगेश त्यागी का कुलपति के रूप में कार्यकाल 15 मार्च 2021 को समाप्त हो रहा है। मंत्रालय के केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में नए भर्ती नियमों के तहत पद रिक्त होने और रिटायरमेंट के छह महीने पहले ही खाली पद को भरने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इसी के तहत नवंबर में मंत्रालय दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कुलपति पद की तलाश की तैयारी शुरू कर देगा। इसी दौरान नवंबर में ही कुलपति पद के लिए विज्ञापन भी जारी किया जाएगा।
-बीएचयू, इलाहाबाद, उत्तराखंड के बाद डीयू कुलपति पर जांच:
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के कामकाज से नाखुश और विश्वविद्यालय को आर्थिक व अकादमिक रूप से नुकसान, अनियमितता, भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते मंत्रालय ने पिछले छह साल में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, विश्व भारती व पांडेचेरी विश्वविद्यालय में समिति से जांच करवाई गई। आरोप साबित होने के बाद राष्ट्रपति ने विश्व भारती, पांडिचेरी की महिला कुलपति, बीएचयू, इलाहाबाद गढ़वाल यूनिवर्सिटी के कुलपति को हटाने की सिफारिश को भी मंजूरी दी थी।साभार-अमर उजाला
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