मामूली लापरवाही भी आंखों की रौशनी ले सकती है – इन बातों का ध्यान देना जरूरी है

आप अपनी आंखों को खतरे में डाल रहे हैं और आपको इसकी जानकारी भी नहीं है।
चंद उपाय से आंखों को होनेवाले खतरे की जानकारी और बचाव को जान सकते हैं।

हम सभी जानते हैं कि स्क्रीन पर ज्यादा देर रहना आंखों के लिए नुकसानदेह है। इसके अलावा भी कई ऐसे कारण हैं जिससे हमारी आंखों को खतरा पहुंचने का डर रहता है। आम तौर पर आंखों का मामला स्वास्थ्य समस्याओं के पीछे रहता है। मगर हम प्रति दिन आंखों को खतरे में डालते हैं और हमें इसकी जानकारी भी नहीं होती।

सन ग्लास का नहीं पहनना-

धूप में निकलने पर सन ग्लास का पहनना जरूरी हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ज्यादा देर तक चश्मा पहनने के नुकसान भी हैं? सूर्य से निकलनेवाली पैराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने पर आंखों की बीमारी होने का खतरा रहता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओपथैल्मोलॉजी के मुताबिक, मोतियाबिंद, मैक्यूलर डिजनरेशन, आंख की वृद्धि और किसी हद तक आंख का कैंसर बीमारियों में शामिल है।

पुतलियों पर सन स्क्रीन-

आंख की पुतलियों पर सन स्क्रीन लगाते समय सावधान रहना चाहिए. सुनिश्चित करें कि सन स्क्रीन आंखों में न पड़े। जिंक और टाइटेनियम डाइऑक्साइड से बना फार्मूला संवेदनशील स्किन के लिए अच्छा विकल्प होता है।

कभी-कभी आंखों का मलना-

कभी-कभी आंखों के मलने से नुकसान नहीं पहुंचता है मगर लगातार मलना कॉर्निया और केरेटोकोनस को कमजोर कर सकता है। आंखों के मलने से नरम पलक के ऊत्तकों में स्क्रैच का खतरा बढ़ता है।

स्क्रीन देखने के बीच ब्रेक लें-

स्क्रीन पर देखने से आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ता है क्योंकि ऐसी सूरत में आप कम झपकी लेते हैं। स्क्रीन पर नजर गड़ाने से झपकी दर एक तिहाई तक कम कर सकता है। इसलिए आपकी स्क्रीन को 25 इंच की दूरी पर होना चाहिए। हर 20 मिनट पर स्क्रीन से ब्रेक लें। 20 सेकंड के लिए 20 फीट की दूरी पर देखें।

आपकी आंखें बहुत सूखी होती हैं-

अगर आपको दृष्टि की समस्या नहीं है फिर भी आंखों का चेकअप नियमित कराएं। इससे शुरुआती चरण में ही समस्याओं का पता चलने में मदद मिल सकती है। 20-30 की उम्र को पहुंचने पर हर पांच से दस साल में आंखों के डॉक्टर से मिलना चाहिए। 40-54 साल के होने पर हर दो से चार साल में आंखों के डॉक्टर की सलाह लें। उसी तरह एक से तीन साल में 55-64 की उम्र पहुंचने पर आंखों के डॉक्टर से संपर्क करें।

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