अब आपको अपने वोटर आई कार्ड को भी आधार के साथ लिंक कराना जरूरी हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग की ओर से आए सुझाव को मान लिया है। लेकिन, कानून मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि, यह सुनिश्चत करना जरूरी है इस प्रोसेस में डेटा चोरी होने से रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में छपी खबर के मुताबिक, आधार कार्ड को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ हामी भरी है। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब चुनाव आयोग को वोटर आईडी के साथ आधार कार्ड लिंक करने का कानूनी अधिकार मिल सकता है।
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने इससे पहले फरवरी 2015 में आधार को मतदाता फोटो पहचान पत्र (या ईपीआईसी) से जोड़ने की कवायद शुरू की थी। उस समय एच एस ब्रह्मा मुख्य चुनाव आयुक्त थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), एलपीजी और केरोसिन वितरण में आधार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के की वजह से अगस्त में यह कवायद निलंबित कर दी गई। लेकिन चुनाव आयोग ने इससे पहले ही आधार से 38 करोड़ वोटर कार्ड लिंक कर लिए थे।
अगस्त 2019 में चुनाव आयोग ने कानून सचिव को एक पत्र लिखकर जन-प्रतिनिधित्व कानून 1950 और आधार अधिनियम 2016 में संशोधन के लिए प्रस्ताव दिया था। ताकि, मतदाता सूची में भी गड़बड़ियों से बचा जा सके। जन-प्रतिनिधित्व कानून के प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) मतदाताओं से मतदाता लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए उनसे आधार नंबर मांग सकता है।
चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि आधार के साथ मतदाता कार्डों की सीडिंग से डुप्लीकेट इंट्री और फर्जी मतदाताओं को बाहर निकालने में मदद मिलेगी और यह राष्ट्र के हित में है। संशोधन में यह भी कहा गया है कि आधार नंबर नहीं देने की स्थिति में किसी का नाम न तो मतदाता सूची से हटाया जाएगा और न हीं उन्हें इनरॉलमेंट देने से रोका जाएगा।
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