यूपी। यूपीपीसीएल में कर्मचारियों की पीएफ की राशि के घोटाले के मामले में जांच कर रही इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। ईओडब्ल्यू ने अपनी तफ्तीश में फर्जी पाई गई 9 कंपनियों में से 5 के मालिकों का पता लगा लिया है। अब इन मालिकों को पूछताछ के लिए सोमवार ईओडब्ल्यू के दफ्तर में बुलाया गया है।
कम्पनियों के खातों को खंगालने में एजेंसी
जांच के दौरान एजेंसी को हरियाणा और दिल्ली में कुछ ठिकानों के बारे में भी पता चला है। यह ठिकाने पॉवर एंप्लाइज ट्रस्ट के पूर्व सचिव पीके गुप्ता के बेटे अभिनव और उसके साथी और फर्जी ब्रोकर फर्म के मालिक आशीष चौधरी से संबंधित है। ईओडब्ल्यू ने अब तक सामने आए सभी 14 ब्रोकर कम्पनियों के खातों को खंगालने का काम भी शुरू कर दिया है।
चंद महीनों में करोड़ों रुपए लेकर गायब हुई कंपनियां
एजेंसी यह पता करने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार इन खातों से रकम कहां-कहां भेजी गई। अब तक की जांच में सामने आया है कि डीएचएफएल में इन्वेस्ट कर आने वाली 14 ब्रोकर फॉर्म में से 9 फर्जी हैं। यही नहीं इन कंपनियों को आनन-फानन में बनाया गया था और यह कंपनियां चंद महीनों में करोड़ों रुपए लेकर गायब हो गई। इन्हीं पांच कम्पनियों के मालिकों को ईओडब्ल्यू ने ढूंढा है और उनसे अब यह जानकारी हासिल की जाएगी कि आखिरकार इस धनराशि का उन्होंने क्या किया।
ईओडब्ल्यू ने किया विरोध करने का फैसला
इस बीच ईओडब्ल्यू ने इस मामले में गिरफ्तार यूपीपीसीएल के पूर्व अधिकारी पीके गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी की जमानत का विरोध करने का फैसला किया है। एजेंसी का मानना है अगर यह दोनों अधिकारी बाहर आ गए तो पूरे मामले में जांच को प्रभावित कर सकते हैं। दूसरी तरफ इस मामले में गिरफ्तार अभिनव और आशीष को 29 तारीख तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
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