तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पास कराने के पीछे सरकार की कुशल रणनीति और बेहतरीन फ्लोर मैनेजमेंट बताया गया है। तीन तलाक बिल पास हो जाने के बाद एक ओर जहां बीजेपी में जश्न का माहौल है वहीं विपक्षी दलों ने इसे छल और धोखा बताया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इसे लोकतंत्र की हार करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि सत्ता में बैठी सरकार लोकतंत्र की परवाह नहीं करती।
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”सरकार ने हमसे पूछा था कि आप कौन से विधेयक सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहेंगे? उन्होंने हमें 23 विधेयकों की सूची दी थी. हम चाहते थे कि उनमें से कम से कम आधे को भेजा जाए। उन्होंने कहा जितना हो सके उतना कम करो। इसलिए विपक्ष ने 6 विधेयकों को A श्रेणी और 2 को B श्रेणी में रखा था।”
हमने जिन 6 बिलों को लेकर सहमति बनाई थी और जिस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना था उसमें तीन तलाक बिल भी शामिल था। आजाद ने कहा कि सरकार मुस्लिम महिला संरक्षण अधिकारों पर विवाह विधेयक, 2019 को आज लाने वाली थी, जिसे गलत तरीके से कल ही पेश कर दिया गया। आजाद ने कहा कि इस बिल को पेश करने की जानकारी हमें काफी देर से दी गई, जिसकी वजह से हम अपने सदस्यों को इस बिल की जानकारी ही नहीं दे सके। आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी मनमानी से हर संस्था को एक विभाग की तरह ही चलाना चाहती है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी सरकार के इस तरह से लाए गए बिल पर उंगली उठाई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें सरकार ने व्हिप जारी करने का भी समय नहीं दिया गया, जिसके कारण हमारे कई सांसद संसद की कार्यवाही से बाहर रहे। सरकार ने कहा था कि वह बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजेगी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
उधर टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ”सोमवार देर रात हमको पता चला कि तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में आ रहा है। सरकार ने हमको इस बिल से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं दी थी और यही बात यूएपीए बिल को लेकर भी दिखाई दी। हम दोनों बिल को देखना चाहते थे।” डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार अपने दो सहयोगियों के भरोसे संसद चला रही है, पहला सीबीआई और दूसरा प्रवर्तन निदेशालय।
आपको बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी इस बिल को हरी झंडी मिल गई। इस बिल के पास होने के साथ ही अब किसी भी तरीके से तलाक देना अपराध माना जाएगा। बिल में 3 साल की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 99 वोट पड़े वहीं इस बिल के विपक्ष में 84 वोट पड़े। वोटिंग के वक्त 183 सांसद ही सदन में मौजूद थे। चर्चा के बाद बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई। इससे पहले बिल को राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज हो गया था।
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