चित्रकूट के भरतपुर गांव में रहने वाले 55 साल के बाबा भैयाराम यादव को लोग वृक्ष पुरुष कहकर बुलाते हैं। हैरानी वाली बात तो यह है कि 14 साल पहले लोग इन्हें पागल कहा करते थे। वर्ष 2001 में भैयाराम की पत्नी ने बच्चे को जन्म देते समय दम तोड़ दिया था। इसके सात साल बाद इलाज के अभाव में उनके बेटे की भी मौत हो गई। पत्नी और पुत्र वियोग में बाबा भैयाराम वर्ष 2007 में चित्रकूट में भटक रहे थे, तभी उन्होंने वन विभाग का स्लोगन ‘एक वृक्ष 100 पुत्र समान’ पढ़ा। बाबा उसी वक्त अपने गांव लौट पड़े।
गांव के बाहर जंगल में जाकर झोपड़ी बनाई और जंगल में ही रम गए। गांव से 3 किलोमीटर दूर जंगल में पानी ले जाकर वृक्षों को सींचने और उनकी सुरक्षा में जुट पड़े। लोगों को लगा कि भैयाराम पागल हो चुके हैं, लेकिन जब नन्हें पौध वृक्ष की शक्ल में बदलने लगे तो लोगों ने बाबा का सहयोग करना शुरू कर दिया। बाबा कहते हैं, ‘शुरू में मैंने 40 वृक्ष रोपे। धीरे-धीरे यह संख्या 40 हजार के आसपास पहुंच गई। मन में ठान लिया था कि विधाता ने मुझसे मेरा एक पुत्र छीना है, मैं लाखों पुत्रों (वृक्षों) का पिता बनूंगा।’ बाबा की तपस्या से आज भरतपुर वन क्षेत्र के 50 हेक्टेयर जमीन में हरियाली दिखाई दे रही है।
विभाग ने की तारीफ
ऊबड़-खाबड़ अनपयोगी वन भूमि में भैयाराम ने अपने कठिन परिश्रम एक विशाल जंगल खड़ा कर दिया। बाबा के संघर्ष को देखकर वन विभाग के अफसर भी हैरान रह जाते हैं। कहते हैं, ‘प्रकृति प्रेमी इस महातपस्वी ने अपनी तपस्या से भरतकूप इलाके के पूरे भरतपुर वन क्षेत्र को हरा-भरा करके एक मिसाल कायम कर दी है।’ कुछ लोगों ने और वन विभाग के अफसरों ने उन्हें गुजर बसर करने के लिए रुपये भी देने की कई बार कोशिश की, लेकिन भैयाराम ने कुछ भी लेने से मना कर दिया।
40 लाख वृक्ष लगाने का है लक्ष्य
बाबा भैयाराम का कहना है, ‘मेरा लक्ष्य 40 लाख वृक्ष लगाने का है, लेकिन पानी की समस्या आड़े आ रही है। गर्मी के महीनों में वृक्ष सूखने लग जाते हैं। अगर मेरी झोपड़ी के आसपास एक हैंडपंप का इंतजाम हो जाता तो मैं इस लक्ष्य को बड़ी आसानी से पार कर जाऊंगा।’
व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad