मणिपुर का चुराचांदपुर जिला एक बार फिर सामुदायिक तनाव की चपेट में आ गया है। वी मुनहोइह और रेंगकाई गांवों के बीच एक विवादित क्षेत्र में सामुदायिक झंडे फहराए जाने के बाद दो प्रमुख जनजातियों—जोमी और हमार—के बीच तनाव पैदा हो गया। हालात को काबू में रखने के लिए प्रशासन को कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा है।
क्या है विवाद की जड़? तनाव की शुरुआत उस वक्त हुई जब वी मुनहोइह और रेंगकाई गांवों के बीच झंडा फहराया गया। बताया जा रहा है कि दोनों समुदायों में भूमि को लेकर पुराना विवाद चल रहा है। 18 मार्च को भी इसी मुद्दे को लेकर एक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे, जब एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय का झंडा मोबाइल टावर से नीचे गिरा दिया था।
प्रशासन का सख्त रुख स्थिति को बिगड़ते देख चुराचांदपुर के जिलाधिकारी धारुन कुमार ने पूरे जिले के कांगवई, समुलामलान और संगाईकोट उप-मंडलों के साथ-साथ दोनों गांवों में कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया। हालांकि, जरूरी सेवाओं के लिए 17 अप्रैल तक सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है।
गांव के लोगों से अपील, सोशल मीडिया पर नजर प्रशासन ने वी मुनहोइह और रेंगकाई गांव के नेताओं के साथ बैठक कर शांति की अपील की। पुलिस और प्रशासन ने ग्रामीणों से सोशल मीडिया पर अफवाह न फैलाने की सख्त चेतावनी भी दी है। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि भूमि विवाद को संबंधित प्राधिकारियों द्वारा सुलझाया जाएगा और तब तक किसी भी तरह की उकसाने वाली गतिविधि पर निगरानी रखी जाएगी।
सरकार हाई अलर्ट पर राज्य सरकार ने हालात को गंभीरता से लेते हुए पूरे जिले में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। अधिकारियों का कहना है कि हर नागरिक की सुरक्षा प्राथमिकता है और सामुदायिक सौहार्द बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है।
क्या कहता है भविष्य? चुराचांदपुर की यह घटना मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने पर एक बार फिर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। हालांकि प्रशासन और सरकार सक्रिय नजर आ रही है, लेकिन जब तक जमीनी विवादों को स्थायी रूप से हल नहीं किया जाता, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहेगी।
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