सड़क परियोजनाओं में देरी: नितिन गडकरी ने बताए प्रमुख कारण और समाधान

केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि देश में सड़क परियोजनाओं की देरी के पीछे कई कारण हैं। इनमें अप्रत्याशित घटनाओं के अलावा निर्माण सामग्री की कमी, भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याएं और ठेकेदारों के वित्तीय संकट प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना सहित 637 सड़क परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण, वित्तीय कठिनाइयों और अन्य प्रशासनिक कारणों से देरी हुई है।
परियोजनाओं में देरी के कारण
गडकरी ने बताया कि सड़क निर्माण कार्यों में देरी कई कारणों से हो रही है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
भूमि अधिग्रहण में देरी: कई परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाती है, जिससे निर्माण कार्य समय पर शुरू नहीं हो पाता।
ठेकेदारों की वित्तीय कठिनाइयाँ: कई ठेकेदारों को परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने में कठिनाई होती है, जिससे कार्य धीमा हो जाता है।
निर्माण सामग्री की कमी: आवश्यक निर्माण सामग्री की अनुपलब्धता या महंगाई भी परियोजनाओं को प्रभावित करती है।
मौसम से जुड़ी चुनौतियाँ: मानसून के दौरान भारी बारिश के कारण सड़क निर्माण का कार्य बाधित हो जाता है।
प्रशासनिक और पर्यावरणीय मंजूरी: कई बार स्थानीय प्रशासनिक अड़चनें और पर्यावरणीय मंजूरी में देरी भी निर्माण कार्यों को प्रभावित करती हैं।
मजदूरों की अनुपलब्धता: मजदूरों की कमी भी एक बड़ा कारण है, खासकर महामारी के बाद प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धता कम होने से यह समस्या और गहरी हो गई।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
नितिन गडकरी ने बताया कि सरकार इन चुनौतियों से निपटने और परियोजनाओं के निष्पादन में तेजी लाने के लिए विभिन्न पहल कर रही है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज करना।
रेलवे से संबंधित रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) के लिए जनरल अरेंजमेंट ड्रॉइंग (जीएडी) की ऑनलाइन मंजूरी।
पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ‘परिवेश पोर्टल’ का पुनरोद्धार।
राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ समय-समय पर समीक्षा बैठकें आयोजित करना।
विलंब से होने वाली लागत पर प्रभाव
मंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि परियोजना में देरी ठेकेदार की गलती से नहीं होती है, तो अनुबंध की शर्तों के अनुसार मूल्य वृद्धि का भुगतान किया जाता है। इससे परियोजना की कुल लागत प्रभावित हो सकती है। हालांकि, यदि देरी ठेकेदार की गलती से होती है, तो उस पर हर्जाना लगाया जाता है और सरकार को कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ता।
भारतमाला परियोजना पर असर
नितिन गडकरी ने बताया कि केवल सामान्य सड़क परियोजनाएँ ही नहीं, बल्कि भारतमाला परियोजनाएँ भी इन्हीं समस्याओं से प्रभावित हुई हैं। देशभर में आधुनिक और सुरक्षित सड़क नेटवर्क बनाने के उद्देश्य से भारतमाला परियोजना शुरू की गई थी, लेकिन वित्तीय अड़चनों और भूमि अधिग्रहण की समस्याओं के कारण इस परियोजना की गति धीमी पड़ गई है।
सड़क निर्माण परियोजनाओं की देरी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सरकार इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाने, वित्तीय बाधाओं को दूर करने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी लाने के प्रयासों से इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की दिशा में काम किया जा रहा है। यदि इन प्रयासों को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो भारत का सड़क नेटवर्क और अधिक मजबूत और आधुनिक बन सकेगा।
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