भारत की सैन्य शक्ति को मिलेगा नया आयाम: 54,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी

भारत सरकार ने गुरुवार को देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 54,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के विभिन्न अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन प्रस्तावों को स्वीकृति दी। इस निर्णय से तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—की ताकत में जबरदस्त वृद्धि होगी।
तेजी से होगी सैन्य खरीद प्रक्रिया
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, डीएसी ने पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की समयसीमा को कम करने के नए दिशानिर्देशों को भी मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया को अधिक तेज, प्रभावी और कुशल बनाना है। यह निर्णय ‘2025 को सुधारों के वर्ष’ के रूप में मनाने की रक्षा मंत्रालय की पहल के अनुरूप लिया गया है।
वायुसेना के लिए आधुनिक एईडब्ल्यू एंड सी विमान प्रणाली
इस फैसले के तहत वायुसेना के लिए अत्याधुनिक एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&CS) विमान प्रणाली को स्वीकृति दी गई है। यह प्रणाली वायुसेना की युद्धक क्षमता में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है। इससे न केवल लड़ाई के तरीके बदलेंगे, बल्कि विभिन्न हथियार प्रणालियों के साथ तालमेल बिठाने और लक्ष्य भेदने की क्षमता में भी वृद्धि होगी। यह तकनीक वायुसेना को किसी भी पूर्व चेतावनी और आवश्यक रक्षा उपाय अपनाने में सक्षम बनाएगी।
थलसेना को मिलेगा ज्यादा ताकतवर टी-90 टैंक
थलसेना की मारक क्षमता को और अधिक घातक बनाने के लिए टी-90 टैंकों के इंजन को अपग्रेड किया जाएगा। वर्तमान में इन टैंकों में 1,000 हॉर्सपावर (एचपी) का इंजन है, जिसे बढ़ाकर 1,350 एचपी किया जाएगा। खासतौर पर ऊंचाई वाले इलाकों में इस अपग्रेड का विशेष महत्व होगा, क्योंकि यह टैंकों के वजन की तुलना में उनकी ताकत में संतुलन स्थापित करेगा और उनकी गति और युद्धक्षमता को बढ़ाएगा।
नौसेना को मिलेगा स्वदेशी वरुणास्त्र टारपीडो
भारतीय नौसेना की ताकत को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित किए गए पनडुब्बी-रोधी टारपीडो ‘वरुणास्त्र’ को भी इस खरीद योजना में शामिल किया गया है। इसे युद्धपोतों से दागा जा सकता है और यह समुद्र में पनडुब्बियों के खतरे से निपटने में बेहद कारगर साबित होगी। स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह टारपीडो नौसेना की रणनीतिक शक्ति को कई गुना बढ़ा देगी और भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाएगी।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
यह फैसला ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को मजबूती प्रदान करने वाला साबित होगा, क्योंकि इसमें शामिल कई उपकरण और हथियार प्रणाली स्वदेश में विकसित की गई हैं। रक्षा मंत्रालय का यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
भारत सरकार द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण फैसले से देश की सैन्य शक्ति को अभूतपूर्व मजबूती मिलेगी। आधुनिक तकनीक से लैस उपकरणों के जुड़ने से भारतीय सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमताएं और भी धारदार होंगी। यह निर्णय न केवल भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि देश को वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
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