बेंगलुरु का कूड़ा संकट: राजनीति, ब्लैकमेलिंग व माफिया के आरोपों के बीच शहर बेहाल

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कूड़ा प्रबंधन संकट गहराता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा करते हुए विधायकों पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि सभी राजनीतिक दलों के विधायक कचरा संकट के समाधान के बदले सरकार से विकास निधि के रूप में 800 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने किसी भी विधायक का नाम नहीं लिया।
कूड़ा संकट पर सरकार की चिंता
बेंगलुरु शहर में कूड़ा प्रबंधन एक बड़ी समस्या बन चुका है। विधान पार्षद एम. नागराजू ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि शहर में कचरा निस्तारण सुविधाओं की कमी के कारण कई कचरा परिवहन वाहन सड़कों पर फंसे हुए हैं। शहर में साफ-सफाई न होने से नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कूड़ा माफिया का खेल?
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शहर के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर एक बड़े माफिया का नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि कचरा निस्तारण ठेकेदारों ने एक गिरोह बना लिया है और वे मानक दरों से 85 प्रतिशत अधिक कीमत वसूल रहे हैं। यही नहीं, अब इन ठेकेदारों ने सरकार की कार्रवाई रोकने के लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है।
ब्लैकमेलिंग के आरोप
शहर में फैले गंदगी संकट के बीच उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने विधायकों पर सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उन्होंने कहा, “मैं किसी विधायक का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन यह सच्चाई है कि बेंगलुरु के विधायक हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनकी विकास निधि 800 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी जाए।”
कानूनी पेंच बना बाधा
शहर में कचरा निपटान को लेकर कानूनी अड़चनें भी समस्या को और जटिल बना रही हैं। शिवकुमार ने बताया कि कचरा प्रबंधन योजना में लगे कई वाहन बीते तीन दिनों से महादेवपुरा में फंसे हुए हैं, जिससे शहर में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही कचरा निपटान की प्रक्रिया शुरू करेगी और इसके लिए एक सम्मानजनक व्यवस्था बनाई जाएगी।
सरकार का अगला कदम
बेंगलुरु में कूड़ा संकट को लेकर मचे घमासान के बीच अब सभी की निगाहें सोमवार को होने वाले विधानसभा सत्र पर टिकी हैं, जहां उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब देंगे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है और क्या विधायक तथा कचरा माफिया के बीच की कथित साठगांठ पर कोई कड़ा एक्शन लिया जाता है या नहीं। फिलहाल, बेंगलुरु के नागरिक इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही उनके शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर लौटेगी।
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