तीन भाषा नीति पर घमासान: एमके स्टालिन और धर्मेंद्र प्रधान आमने-सामने

तमिलनाडु में तीन भाषा नीति को लेकर मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इस बहस ने तब और तूल पकड़ लिया जब लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु सरकार को “बेईमान” करार दिया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधान को “अहंकारी” बताते हुए कहा कि वे खुद को राजा समझकर बात कर रहे हैं और उन्हें अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए।
तीन भाषा नीति और पीएमश्री योजना को लेकर विवाद
धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि तमिलनाडु सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है और पीएमश्री योजना पर ‘यू-टर्न’ ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार पहले इस योजना को लागू करने के लिए सहमत थी, लेकिन अब वह इससे पीछे हट रही है। प्रधान ने यह भी कहा कि कर्नाटक, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य इस योजना को अपना चुके हैं, लेकिन द्रमुक सरकार राजनीतिक कारणों से इसे स्वीकार नहीं कर रही।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री पर तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रधान का पत्र साझा करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने राज्य के लोगों की भावनाओं और विचारों का सम्मान करती है, जबकि भाजपा नेता नागपुर की विचारधारा से बंधे रहते हैं।
लोकसभा में हंगामा और सरकार पर आरोप
प्रधान की टिप्पणी से नाराज द्रमुक सांसदों ने लोकसभा में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के छात्रों के अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है और राज्य के लिए आवंटित फंड को जारी नहीं कर रही। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अपमान को स्वीकार करेंगे?
तमिलनाडु सरकार का पक्ष
तमिलनाडु सरकार ने पहले भी स्पष्ट किया है कि वह तीन भाषा नीति को लागू नहीं करेगी और नई शिक्षा नीति (NEP) को भी स्वीकार नहीं करेगी। स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार छात्रों की मातृभाषा और तमिल संस्कृति को प्राथमिकता देती है और भाजपा जबरदस्ती अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश कर रही है।
क्या शिक्षा पर राजनीति हो रही है?
इस पूरे विवाद से यह सवाल उठ रहा है कि क्या शिक्षा पर राजनीति हावी हो रही है? क्या तमिलनाडु सरकार छात्रों के भविष्य के साथ समझौता कर रही है या केंद्र सरकार राज्य पर अपनी नीतियां थोपने की कोशिश कर रही है?
तीन भाषा नीति और पीएमश्री योजना को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद गहराता जा रहा है। यह केवल शिक्षा का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गया है। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे का समाधान कैसे निकलता है और क्या केंद्र और राज्य सरकारें छात्रों के हित में कोई साझा रास्ता निकाल सकती हैं।
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