दीपा मलिक: हौसले व जज़्बे की मिसाल

जब भी हिम्मत और जज़्बे की बात होती है, तो भारतीय पैरा एथलीट दीपा मलिक का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। 20 साल से व्हीलचेयर पर ज़िंदगी बिताने वाली दीपा ने अपनी शारीरिक सीमाओं को कभी अपनी ताकत पर हावी नहीं होने दिया। 36 साल की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरी, 31 ऑपरेशन और 183 टांकों के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया।
बचपन और संघर्ष की शुरुआत
30 सितंबर 1970 को हरियाणा में जन्मी दीपा मलिक के जीवन में मुश्किलों की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी। मात्र छह साल की उम्र में उनकी स्पाइनल कॉर्ड में ट्यूमर हुआ, जिसे ऑपरेशन के बाद निकाल दिया गया। उनके पिता रिटायर्ड कर्नल बी.के. नागपाल हैं और उनकी शादी सेना अधिकारी कर्नल विक्रम सिंह से हुई। 3 जून 1999 को जब वह आखिरी बार अपने पैरों पर चलकर ऑपरेशन थियेटर में गईं, तब उन्हें नहीं पता था कि यह उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है। रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर के कारण उनके कमर से नीचे का हिस्सा हमेशा के लिए सुन्न हो गया।
खेल में शुरुआत और उपलब्धियां
दीपा ने 36 साल की उम्र में खेल की दुनिया में कदम रखा और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से भारतीय खेल जगत में अपनी पहचान बनाई। 2016 के रियो पैरालंपिक में उन्होंने शॉट पुट में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस सम्मान को पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके अलावा, उन्होंने एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी कई पदक जीते।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन
दीपा मलिक की उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है:-
2009: शॉट पुट में पहला कांस्य पदक जीता।
2010: इंग्लैंड में शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीते।
2011: वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक और शारजाह वर्ल्ड गेम्स में दो कांस्य पदक।
2012: मलेशिया ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक।
2014: चाइना ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप बीजिंग में शॉट पुट में स्वर्ण पदक।
2016: रियो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल।
2018: एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल।
सम्मान और पुरस्कार
दीपा मलिक को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया:-
राजीव गांधी खेल रत्न (2019) – पैरालंपिक खिलाड़ी के रूप में यह पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय महिला।
अर्जुन अवार्ड (2012) – उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन के लिए।
पद्मश्री अवार्ड – खेल जगत में अद्वितीय योगदान के लिए।
राष्ट्रपति रोल मॉडल अवार्ड (2014) – दिव्यांगों के लिए प्रेरणा बनने हेतु।
अन्य उपलब्धियां
खेल के अलावा, दीपा मलिक एक सफल एंटरप्रेन्योर, मोटिवेशनल स्पीकर और समाजसेवी भी हैं। उन्होंने सात सालों तक कैटरिंग और रेस्टोरेंट बिजनेस किया। वह सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर दिव्यांगों के लिए जागरूकता अभियान चलाती हैं और कई मोटिवेशनल कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं। 2008 और 2009 में उन्होंने यमुना नदी में तैराकी करके और स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया।
नए लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम
दीपा मलिक ने कभी भी संन्यास का विचार नहीं किया। 50 वर्ष की उम्र में उन्होंने समुद्र पार करने का नया लक्ष्य तय किया और इसकी तैयारी के लिए मालदीव में ट्रेनिंग भी शुरू कर दी।
समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा
दीपा मलिक की कहानी केवल एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है, जिसने समाज की सोच को बदलने का काम किया है। उन्होंने यह साबित किया है कि दिव्यांगता सफलता की राह में बाधा नहीं, बल्कि एक नई प्रेरणा बन सकती है। उनकी उपलब्धियों से न केवल दिव्यांग खिलाड़ी बल्कि सभी महिलाएं और युवा प्रेरित होते हैं।
दीपा मलिक का जीवन हमें सिखाता है कि हिम्मत, आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है। वह केवल एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो जीवन में चुनौतियों से हार मानने की सोचते हैं। उनकी सफलता की कहानी समाज में नई ऊर्जा भरने का काम करती है और आने वाली पीढ़ियों को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करती है।
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