यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों पर अमेरिका की नजर, जेलेंस्की ने किया समझौते से इनकार

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक अहम निर्णय लेते हुए अपने मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे अमेरिका के साथ प्रस्तावित दुर्लभ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर न करें। यह फैसला उन्होंने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित समझौते को एकतरफा बताते हुए किया। उन्होंने कहा कि यह सौदा अमेरिकी हितों को अधिक प्राथमिकता देता है और यूक्रेन के राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं करता।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में प्रमुख मुद्दा बना समझौता
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान यह प्रस्ताव अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की वार्ता का प्रमुख केंद्र था। वार्ता से जुड़े एक वर्तमान और एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अमेरिका चाहता था कि यूक्रेन अपने दुर्लभ खनिजों तक अमेरिका की आसान पहुंच सुनिश्चित करे। हालांकि, जेलेंस्की ने इसे अपने देश के लिए असंतुलित सौदा बताते हुए नामंजूर कर दिया।
व्हाइट हाउस ने किया आलोचना, बताया अदूरदर्शी फैसला
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जेलेंस्की के इस फैसले को अदूरदर्शी करार दिया। उनका कहना था कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी गई सैन्य और आर्थिक सहायता के बदले यह सौदा मुआवजे का एक तरीका हो सकता था। वहीं, यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रस्ताव मुख्य रूप से अमेरिका को फायदा पहुंचाने पर केंद्रित था और यूक्रेन के दीर्घकालिक हितों की अनदेखी कर रहा था।
यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों में क्यों रुचि रखता है अमेरिका?
यूक्रेन दुर्लभ खनिजों के विशाल भंडार का मालिक है, जो एयरोस्पेस, रक्षा और परमाणु उद्योगों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन खनिजों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान होने के कारण अमेरिका समेत कई अन्य देश उन पर नजर बनाए हुए हैं।
चीन पर निर्भरता कम करने की अमेरिकी रणनीति
पूर्व ट्रंप प्रशासन से लेकर मौजूदा अमेरिकी नीति तक, अमेरिका का उद्देश्य चीन पर अपनी दुर्लभ खनिजों की निर्भरता को कम करना है। अमेरिकी उद्योगों को पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने के लिए वाशिंगटन यूक्रेन जैसे देशों के खनिज संसाधनों में रुचि ले रहा है।
यूक्रेन का आत्मनिर्भरता पर जोर
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन अपने संसाधनों के दोहन के लिए किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा। उनका यह निर्णय अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में एक नए मोड़ की ओर इशारा करता है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क्या होगा असर?
इस फैसले से अमेरिका और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। जहां अमेरिका इसे अपने लिए एक झटका मान रहा है, वहीं यूक्रेन इसे अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम मान रहा है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका इस निर्णय के बाद अपनी रणनीति में क्या बदलाव करता है और क्या यूक्रेन इस मुद्दे पर अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ नए समझौते की दिशा में आगे बढ़ता है।
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