महंत सत्येंद्र दास का निधन: अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी को श्रद्धांजलि

अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का 12 फरवरी 2025 को निधन हो गया। 85 वर्षीय महंत सत्येंद्र दास जी का निधन न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान और सेवा का कोई मोल नहीं था, और उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।
स्ट्रोक के बाद अस्पताल में भर्ती
महंत सत्येंद्र दास को 3 फरवरी 2025 को ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर हालत में संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, उनकी स्थिति नाजुक थी, और उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया था। उन्हें न्यूरोलॉजी वार्ड के हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में भर्ती किया गया था, लेकिन अंततः वह अपने जीवन की अंतिम यात्रा पर निकल पड़े।
धार्मिक सेवा में समर्पण
महंत सत्येंद्र दास का जीवन समर्पण और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने 20 वर्ष की आयु में राम जन्मभूमि मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में सेवा कार्य शुरू किया था, और इसके बाद उन्होंने मंदिर में हर कार्य को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनका जीवन और कार्य एक प्रेरणा के रूप में हमारे सामने हैं, जो धार्मिक और सामाजिक कार्यों में संतुलन बनाए रखते हुए जीवन का मार्गदर्शन करते हैं।
राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका
महंत सत्येंद्र दास का योगदान राम मंदिर आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण था। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय भी वह राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में उपस्थित थे। उनका जीवन राम मंदिर के निर्माण के संघर्ष का हिस्सा था, और उन्होंने इस दिशा में अपनी पूरी शक्ति और प्रयासों को समर्पित किया। उनके नेतृत्व में राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर हुए संघर्ष को केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं माना गया, बल्कि यह भारतीय समाज और संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में देखा गया।
समाज में योगदान
महंत सत्येंद्र दास का योगदान सिर्फ मंदिर तक सीमित नहीं था। उन्होंने अयोध्या में शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में अयोध्या में कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जो जनता के बीच समरसता और एकता का संदेश फैलाने में सहायक साबित हुए।
अलविदा, महंत सत्येंद्र दास
महंत सत्येंद्र दास का निधन अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के अनुयायियों और भक्तों के लिए एक बहुत बड़ा दुख है। उनकी शिक्षाएं और सेवा का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा। उनका योगदान न केवल राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में बल्कि भारत के सांस्कृतिक धरोहर में भी अमूल्य रहेगा। उनका निधन एक युग का अंत है, लेकिन उनकी शिक्षाएं और कार्य हमेशा जीवित रहेंगे।
राम जन्मभूमि मंदिर के पुजारी के रूप में उनका कार्य इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा, और उनका नाम भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
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