एनआईए की बड़ी कार्रवाई: आईएसआईएस कट्टरपंथियों के खिलाफ 16 स्थानों पर छापेमारी

चेन्नई-: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को तमिलनाडु में आईएसआईएस कट्टरपंथी मामलों से जुड़े मामलों में बड़ी कार्रवाई की। चेन्नई समेत राज्य के 16 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई आईएसआईएस विचारधारा को बढ़ावा देने और सदस्यों की भर्ती से संबंधित मामलों में की गई है।
विशेष इनपुट पर हो रही कार्रवाई
एनआईए की यह छापेमारी विशेष इनपुट पर आधारित है। जांच एजेंसी के सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य आईएसआईएस समर्थकों के ठिकानों से सबूत जुटाना है। ये सबूत उन व्यक्तियों से संबंधित हैं, जो आतंकी संगठन की विचारधारा को बढ़ावा देने और नए सदस्यों की भर्ती करने में शामिल थे।
कार बम विस्फोट मामले से कनेक्शन
एनआईए की यह कार्रवाई 2022 में हुए कोयंबटूर कार बम विस्फोट मामले से भी जुड़ी है। इस मामले में पिछले साल 21 अक्टूबर को एनआईए ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया था कि इन आरोपियों ने आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए धन इकट्ठा किया और आईएसआईएस के प्रति अपनी निष्ठा जताई।
आईएसआईएस के खिलाफ सख्त कदम
एनआईए ने आईएसआईएस समर्थकों के खिलाफ पिछले साल दर्ज एक मामले की जांच के दौरान इस छापेमारी को अंजाम दिया। जांच से पता चला कि कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति युवाओं को गुमराह कर आतंकवादी संगठन की विचारधारा अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
पिछले मामलों में एनआईए की कार्रवाई
पिछले साल कोयंबटूर बम धमाके के सिलसिले में एनआईए ने चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों पर आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए वित्तीय और रणनीतिक सहयोग का आरोप है। इस मामले में एनआईए ने पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित जांच
एनआईए की इस बड़ी कार्रवाई से साफ है कि एजेंसी तमिलनाडु में सक्रिय कट्टरपंथी ताकतों को खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकी संगठनों की विचारधारा को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है।
एनआईए की यह छापेमारी देश की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और आतंकवाद के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण है। तमिलनाडु जैसे शांतिपूर्ण राज्य में कट्टरपंथी ताकतों को रोकने के लिए ऐसी सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है। इससे न केवल आतंकवादी संगठनों पर दबाव बनेगा, बल्कि आम जनता में भी सुरक्षा का भरोसा बढ़ेगा।
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