साहस व समर्पण की मिसाल: कैप्टन सरिया अब्बासी

यह दिन भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों और अधिकारियों के सम्मान में समर्पित है, जो देश की रक्षा में अपनी जान की परवाह किए बिना योगदान देते हैं। इस खास मौके पर आज हम आपको एक ऐसी महिला सैन्य अधिकारी की प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने न केवल सेना में अपना स्थान बनाया, बल्कि कड़ी मेहनत और समर्पण से लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गईं। यह कहानी है कैप्टन सरिया अब्बासी की।
प्रेरणादायक बचपन और लक्ष्य
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मीं सरिया अब्बासी का पालन-पोषण एक शिक्षित और प्रगतिशील परिवार में हुआ। उनके पिता, डॉ. तहसीन अब्बासी, ऑल इंडिया रेडियो में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे, जबकि उनकी मां, रेहाना अब्बासी, एक सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्य थीं। उनके परिवार में शिक्षा और आदर्शों का महत्व हमेशा प्राथमिकता पर रहा। सरिया ने बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा करने का सपना देखा था।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
सरिया ने अपनी स्कूली शिक्षा के बाद बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें कई शानदार नौकरियों के प्रस्ताव दिलाए। उन्हें न केवल भारत बल्कि विदेश से भी आकर्षक जॉब ऑफर्स मिले। लेकिन सरिया की प्राथमिकता हमेशा से ही देश सेवा थी। उनकी देशभक्ति और सेना में जाने की इच्छा ने उन्हें इन प्रस्तावों को ठुकराने के लिए प्रेरित किया।
चुनौतियां और सफलता की कहानी
सेना में शामिल होने के लिए सरिया ने यूपीएससी की सीडीएस (कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज) परीक्षा दी। पहले प्रयास में असफलता का सामना करने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीख लेकर और अधिक मेहनत की। उनके प्रयास रंग लाए, और दूसरी बार उन्होंने यह कठिन परीक्षा पास कर ली।
उस समय भारतीय सेना में महिलाओं के लिए केवल 12 सीटें उपलब्ध थीं। इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, सरिया ने अपनी जगह बनाई और 2017 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया। यह उपलब्धि उनके अटूट समर्पण और कड़ी मेहनत का नतीजा थी।
सेना में योगदान और नेतृत्व
कैप्टन सरिया अब्बासी को भारतीय सेना में कमीशन मिलने के बाद सीमावर्ती इलाकों में तैनात किया गया। उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। सरिया ने ड्रोन किलर टीम का नेतृत्व किया और एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तैनात रहीं।
वर्तमान में, कैप्टन सरिया अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में एंटी-एयरक्राफ्ट गन एल-70 के साथ देश की रक्षा कर रही हैं। उनकी यह भूमिका न केवल चुनौतीपूर्ण है, बल्कि अत्यधिक महत्वपूर्ण भी है। उनके साहस और दृढ़ता ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं भी देश की रक्षा में किसी से पीछे नहीं हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा
कैप्टन सरिया अब्बासी का जीवन यह सिखाता है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है। उनका सफर यह साबित करता है कि सफलता केवल उन्हीं को मिलती है, जो अपने लक्ष्य के प्रति पूरी निष्ठा और लगन से काम करते हैं।
उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो देश सेवा का सपना देखते हैं। उन्होंने दिखाया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
कैप्टन सरिया अब्बासी का जीवन साहस, समर्पण और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने न केवल भारतीय सेना में एक नई मिसाल कायम की, बल्कि यह भी साबित किया कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती हैं। उनका संघर्ष और सफलता हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। ऐसे ही साहसी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों की वजह से हमारा देश सुरक्षित और समृद्ध है।
हम सभी को कैप्टन सरिया अब्बासी जैसी महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके योगदान को सलाम करना चाहिए।
Exit mobile version