भारत की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, हर साल लाखों युवाओं के सपनों का मंच बनती है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की कहानियां कई बार हमें प्रेरित करती हैं। ऐसी ही एक कहानी है राजस्थान के छोटे से गांव सुमलाई के निवासी देशल दान चरण की, जिन्होंने सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपने को साकार किया।
कठिनाइयों में बीता बचपन
देशल दान चरण का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले के सुमलाई गांव में हुआ। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। उनके पिता कुशल दान चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे और खेती करके परिवार का भरण-पोषण करते थे। बावजूद इसके, उन्होंने अपने बेटे की शिक्षा के प्रति हमेशा समर्पण दिखाया।
देशल बताते हैं, “मेरे पिता ने अपनी जरूरतों को भुलाकर मेरी पढ़ाई के लिए सब कुछ झोंक दिया। कई बार उन्होंने कर्ज लिया, लेकिन कभी भी मेरी पढ़ाई पर असर नहीं आने दिया।”
शिक्षा के प्रति जुनून
देशल का मानना था कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जिससे किसी भी इंसान की जिंदगी बदल सकती है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई में कभी भी समझौता नहीं किया। प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में पूरी करने के बाद, उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए स्व-अध्ययन का सहारा लिया।
कोचिंग की कमी और बड़े शहरों में पढ़ाई के लिए आर्थिक संसाधन न होने के बावजूद, देशल ने घर पर रहकर ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
पहले प्रयास में सफलता
देशल दान चरण ने 2017 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी और अपने पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया 82वीं रैंक हासिल की। उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के प्राप्त की। उनकी मेहनत और आत्मविश्वास ने यह साबित कर दिया कि सही दिशा में की गई कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
देशल कहते हैं, “मैंने किताबों के जरिए पढ़ाई की, और परीक्षा की तैयारी में धैर्य और अनुशासन को सबसे बड़ा हथियार माना।”
पिता का संघर्ष और योगदान
देशल की सफलता में उनके पिता कुशल दान का योगदान बहुत बड़ा था। पिता ने खेती और चाय बेचने से मिलने वाली मामूली आय के बावजूद कभी भी अपने बेटे के सपनों को अधूरा नहीं छोड़ा। उनके बलिदान और मेहनत ने ही देशल को इस मुकाम तक पहुंचाया।
देशल के परिवार में उनके सात भाई-बहन हैं, जिनमें से एक भारतीय नौसेना में कार्यरत हैं। यह भाई भी देशल के लिए प्रेरणा का स्रोत थे।
प्रेरणा बनना चाहते हैं
देशल का सपना सिर्फ खुद के लिए आईएएस बनने तक सीमित नहीं था। वह अपने गांव, अपने क्षेत्र और देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बनना चाहते थे। उनका मानना है कि अगर एक गरीब चायवाले का बेटा आईएएस बन सकता है, तो कोई भी मेहनत और लगन के साथ अपनी मंजिल हासिल कर सकता है।
देशल की कहानी से सीख
देशल दान चरण की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिस्थितियां भी किसी व्यक्ति को उसके लक्ष्य से भटका नहीं सकतीं। उनकी यात्रा हमें सिखाती है:
1. सपनों पर भरोसा करें और उन्हें साकार करने के लिए मेहनत करें।
2. संसाधनों की कमी आपके आत्मविश्वास और मेहनत के सामने कुछ नहीं।
3. अपने परिवार और अपने सपनों के प्रति समर्पित रहें।
देशल दान चरण की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो अपने हालातों से जूझते हुए अपने सपनों को पाने का साहस करता है। यह कहानी बताती है कि सही दिशा में प्रयास और अपने सपनों के प्रति अडिग रहना किसी भी बाधा को पार कर सकता है।
देशल का जीवन इस बात का उदाहरण है कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।