दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: कांग्रेस की वापसी की उम्मीद और राजनीति का उलटफेर

दिल्ली में लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनावों में अपनी मौजूदगी तक साबित नहीं कर पाई थी। परंतु, इस बार चुनावी मैदान में कांग्रेस की चर्चा फिर से तेज हो गई है। यह चर्चा अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी, और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ कांग्रेस द्वारा उतारे गए कांग्रेसी नेताओं के कारण शुरू हुई है। साथ ही, राहुल गांधी का अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रुख भी चर्चा का विषय बना है, खासकर तब जब दोनों नेता पहले आइएनडीआइए के तहत एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने का विचार कर रहे थे।
इस बार दिल्ली में चर्चा के केंद्र में तीन महत्वपूर्ण सीटें हैं—गांधीनगर, सीलमपुर और सीमापुरी। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन यहां दिलचस्प स्थिति यह है कि भाजपा और आप के उम्मीदवार भी पूर्व कांग्रेसी रहे हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़कर झंडा बदल लिया।
गांधीनगर: कांग्रेसी विचारधारा वाले उम्मीदवारों के बीच मुकाबला
गांधीनगर में भाजपा ने पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली को मैदान में उतारा है। लवली 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से ही जुड़ा रहा है। वहीं, आप की ओर से नवीन कुमार दीपू मैदान में हैं, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हुए थे। कांग्रेस की तरफ से कमल अरोड़ा उम्मीदवार हैं, जो इस सीट पर पार्टी के पुराने चेहरों को फिर से जीवित करने की कोशिश करेंगे।
सीलमपुर: कांग्रेसी सोच वाले उम्मीदवारों के बीच घमासान
सीलमपुर विधानसभा में भी कांग्रेस का मुकाबला भाजपा और आप से नहीं, बल्कि कांग्रेसी नेताओं से ही है। कांग्रेस ने अब्दुल रहमान को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले आप विधायक थे, लेकिन अब कांग्रेस में वापस लौटे हैं। उनके खिलाफ चौधरी जुबेर हैं, जो तीन महीने पहले तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष थे और अब आप में शामिल हो चुके हैं। भाजपा से अनिल कुमार शर्मा भी इस सीट पर चुनावी मैदान में हैं, जो पहले कांग्रेस से जुड़े थे और 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
सीमापुरी: कांग्रेसी विचारधारा के बीच संघर्ष
सीमापुरी में भी यही कहानी दोहराई जा रही है। भाजपा से रिंकू उम्मीदवार हैं, जो पहले कांग्रेस में रही थीं और दो बार कांग्रेस की पार्षद रह चुकी थीं। वहीं, आप से वीर सिंह धिंगान मैदान में हैं, जो कांग्रेस के पुराने नेता थे और 1998 से 2013 तक पार्टी के विधायक रहे थे। कांग्रेस ने यहां राजेश लिलोठिया को मैदान में उतारा है, जो पार्टी के लिए नई उम्मीद बन सकते हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। पार्टी की वापसी की कोशिशों के बीच यह चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि भाजपा और आप दोनों ही कांग्रेस के पुराने नेताओं को अपने उम्मीदवार बना चुके हैं। इस बार कांग्रेस को अपनी विचारधारा और पुराने नेताओं को फिर से एकजुट करने का मौका मिल रहा है, लेकिन यह देखना होगा कि पार्टी इस चुनाव में कितनी सफलता हासिल कर पाती है।
Exit mobile version