डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह: भव्यता व परंपराओं का उत्सव

डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं। इस अवसर पर एक भव्य इनॉग्रेशन समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसके सभी टिकट पहले ही बिक चुके हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित कई विदेशी मेहमानों को इसमें आमंत्रित किया गया है। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस ऐतिहासिक समारोह में भाग लेंगे। अमेरिका, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली और बड़ा लोकतांत्रिक देश है, उसके नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी होंगी।
जनवरी में ही क्यों होता है शपथ ग्रहण?
डोनाल्ड ट्रंप ने 3 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह दो महीने बाद, 20 जनवरी को हो रहा है। इस अंतराल का कारण अमेरिकी संविधान का 20वां संशोधन है, जो 1937 में लागू हुआ था। इसके पहले, शपथ ग्रहण 5 मार्च को होता था। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य नए प्रशासन को सुगमता से कार्यभार संभालने का समय देना था।
पहली बार कब हुआ शपथ ग्रहण?
पहला शपथ ग्रहण 30 अप्रैल 1789 को हुआ था, जब जॉर्ज वाशिंगटन ने फेडरल हॉल की बालकनी से राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उस समय उनकी आयु 57 वर्ष थी। इसके बाद, शपथ ग्रहण के लिए 4 मार्च की तारीख तय की गई। 1937 में फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट पहले ऐसे राष्ट्रपति बने, जिन्होंने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण किया।
बाइबिल और शपथ ग्रहण की परंपरा
अमेरिका में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दौरान बाइबिल का उपयोग एक पुरानी परंपरा है। हालांकि, यह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है। 1904 में थियोडोर रूजवेल्ट ने बिना बाइबिल के शपथ ली थी। 2017 में ट्रंप ने अब्राहम लिंकन की ऐतिहासिक बाइबिल और अपनी मां द्वारा गिफ्ट की गई बाइबिल का उपयोग किया था। लिंकन की बाइबिल का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह 1861 में उनके प्रथम शपथ ग्रहण में उपयोग की गई थी।
चुनाव और शपथ के बीच का अंतराल
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच का समय नए राष्ट्रपति को प्रशासनिक तैयारियों के लिए दिया जाता है। इस दौरान वह अपनी टीम का गठन करते हैं और सत्ता के सुचारु हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। 20 जनवरी को रात 11:59:59 तक निवर्तमान राष्ट्रपति अपने पद पर बने रहते हैं। इसके बाद, प्रशासनिक शक्तियां नए राष्ट्रपति को सौंप दी जाती हैं।
भव्यता का प्रतीक: इनॉग्रेशन समारोह
डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह ऐतिहासिक रूप से सबसे भव्य आयोजनों में से एक होने वाला है। इस आयोजन के लिए अनुमानित 200 मिलियन डॉलर की राशि जुटाई गई है, जो पिछले समारोहों की तुलना में दोगुनी है। 17 जनवरी से 20 जनवरी तक तीन दिनों तक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें कैपिटल हिल्स में एक शानदार जुलूस भी शामिल होगा।
रविवार को शपथ ग्रहण का नियम
अगर 20 जनवरी को रविवार हो, तो शपथ ग्रहण का निजी आयोजन होता है, जबकि सार्वजनिक समारोह अगले दिन आयोजित किया जाता है। 2013 में बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के दौरान यह परंपरा निभाई गई थी।
डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक बाइबिल
डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में अपने शपथ ग्रहण के दौरान अब्राहम लिंकन की ऐतिहासिक बाइबिल का उपयोग किया था, जिसका इस्तेमाल बराक ओबामा ने भी 2009 और 2013 में किया था। ट्रंप ने अपनी मां द्वारा उपहार में दी गई बाइबिल का भी उपयोग किया, जो उनके लिए व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण है।
वैश्विक नेताओं का जमावड़ा
इस शपथ ग्रहण में दुनियाभर के प्रमुख नेता शामिल होंगे। भारत से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस अवसर पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह आयोजन न केवल अमेरिका की परंपराओं का उत्सव होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की ताकत और कूटनीति का भी प्रदर्शन करेगा।
डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह एक ऐसा ऐतिहासिक अवसर होगा, जो लोकतंत्र, परंपरा और भव्यता का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई दिशा देगा।
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