सिंध में अतिक्रमण हटाने के अभियान में हिंसा: 12 पुलिसकर्मी घायल, सेना तैनात

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अतिक्रमण हटाने के एक अभियान के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिससे अधिकारियों और स्थानीय निवासियों के बीच जबरदस्त झड़पें हुईं। यह घटना मंगलवार को हैदराबाद शहर के कासिमाबाद इलाके में घटी, जहां अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे अधिकारियों को स्थानीय लोगों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। इस झड़प में 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि करीब 12 नागरिक भी घायल हुए हैं।
अतिक्रमण हटाने का अभियान: हिंसा की वजह
सिंध सरकार द्वारा चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य सिंचाई चैनल को बहाल करना और जमीन पर एक 24 फुट चौड़ी सड़क बनाना था। इसके लिए अधिकारियों ने अतिक्रमण और अवैध संरचनाओं को हटाने का निर्णय लिया था। अभियान के दौरान, जब अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई शुरू की, तो स्थानीय निवासियों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
इस विरोध के दौरान, निवासियों ने अधिकारियों पर पथराव किया, जिससे कई सरकारी वाहनों के शीशे टूट गए। इसके बाद, पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हवाई फायरिंग और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप झड़पें बढ़ गईं और दोनों पक्षों के बीच हिंसा में वृद्धि हुई।
स्थानीय नागरिकों का विरोध
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने अतिक्रमित जमीन पर काफी समय पहले संरचनाएं बनाई थीं और उन्होंने इन संरचनाओं के लिए बड़ी रकम भी चुकाई थी। कई निवासियों ने यह दावा किया कि उन्होंने अपनी संपत्ति 10 लाख रुपये से अधिक में खरीदी थी और मासिक उपयोगिता बिल भी भर रहे थे। वहीं, कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि वे 2010 से वहां रह रहे थे और अब उनके घरों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
इस मामले पर हैदराबाद के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) जैनुल आबिदीन मेमन ने हिंसा की पुष्टि की और कहा, “भीड़ के साथ-साथ नागरिकों की ओर से की गई हिंसा में 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।” उन्होंने बताया कि यह अभियान बुधवार को भी जारी था।
अतिक्रमण और सरकारी कार्रवाई
सिंचाई विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में, कासिमाबाद सहायक आयुक्त के सर्वेक्षण के अनुसार, क्षेत्र में 350-400 अतिक्रमित संरचनाएं मौजूद थीं। अधिकारियों ने दावा किया कि यह कार्रवाई अवैध रूप से कब्जा की गई ज़मीन को मुक्त करने और सार्वजनिक उपयोग के लिए सड़क और सिंचाई चैनल बनाने के उद्देश्य से की जा रही थी। हालांकि, स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्हें यह कार्रवाई अवैध और अनुचित लगी।
अधिकारियों ने की सख्त कार्रवाई
झड़पों के बाद, अतिक्रमित ज़मीन पर सेना को तैनात किया गया और बिजली की आपूर्ति भी बंद कर दी गई, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। अधिकारियों ने दावा किया कि उनका उद्देश्य केवल सार्वजनिक ज़मीनों का पुनः कब्जा कराना और विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इसे अत्यधिक सख्ती और गलत तरीके से लागू की गई कार्रवाई माना।
यह घटना इस बात को दर्शाती है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान न केवल सरकारी नीतियों की चुनौती है, बल्कि नागरिकों की स्थायी संपत्ति और उनके अधिकारों को लेकर भी एक बड़ा विवाद है। इस हिंसक झड़प ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब सरकारें जनहित की योजनाओं को लागू करने का प्रयास करती हैं, तो उन्हें स्थानीय समुदायों से व्यापक विरोध का सामना करना पड़ सकता है। अब यह देखना होगा कि भविष्य में इस स्थिति को किस तरह से हल किया जाता है।
Exit mobile version