इसरो के नए चीफ वी. नारायणन: स्पेस साइंस में 40 साल का अनुभव

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस. सोमनाथ के रिटायर होने के बाद केंद्र सरकार ने स्पेस साइंटिस्ट वी. नारायणन को नया चेयरमैन नियुक्त किया है। वी. नारायणन 14 जनवरी 2025 को इस पदभार को संभालेंगे। उन्हें स्पेस डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार भी सौंपा गया है। वर्तमान में वे वलियामाला स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर हैं। उनका कार्यकाल दो साल का रहेगा। नारायणन रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन में विशेषज्ञ हैं और उनके पास अंतरिक्ष विज्ञान का 40 वर्षों का अनुभव है।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर
वी. नारायणन की शिक्षा तमिल माध्यम स्कूलों में हुई। उन्होंने IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में M.Tech (1989) किया, जहां वे पहली रैंक के साथ सिल्वर मेडलिस्ट रहे। इसके बाद उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में PhD पूरी की। उनकी स्कूली शिक्षा, DME (डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग) और AMIE मैकेनिकल इंजीनियरिंग में भी शानदार प्रदर्शन रहा।
इसरो में योगदान
1984 में इसरो जॉइन करने के बाद वी. नारायणन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साढ़े चार साल काम किया। इसके बाद उन्होंने इसरो के कई बड़े मिशनों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने साउंडिंग रॉकेट, ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ASLV) और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) प्रोजेक्ट्स पर काम किया।
LPSC में उन्होंने इसरो के कई मिशनों के लिए 183 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट तैयार किए। वे GSLV Mk-III के C25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के डायरेक्टर भी रहे। PSLV के दूसरे और चौथे फेज का नेतृत्व भी उन्होंने किया।
चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और आदित्य स्पेसक्राफ्ट जैसे महत्वपूर्ण मिशनों के लिए प्रोपल्शन सिस्टम विकसित करने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही है।
प्रमुख उपलब्धियां और सम्मान
अपने करियर में वी. नारायणन को कई प्रतिष्ठित सम्मान और अवॉर्ड मिले हैं:
IIT खड़गपुर से सिल्वर मेडल।
एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) से गोल्ड मेडल।
नेशनल डिजाइन रिसर्च फोरम (NDRF) से नेशनल डिजाइन अवॉर्ड।
निजी जीवन और काम की प्रेरणा
तमिलनाडु के मूल निवासी वी. नारायणन ने अपने शुरुआती करियर में TI डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर फैक्ट्री और BHEL जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में भी काम किया। उनका इसरो में जुड़ना भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में निर्णायक साबित हुआ।
आगे की राह
इसरो के नए चीफ के तौर पर वी. नारायणन का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण लेकिन संभावनाओं से भरा होगा। चंद्रयान-3 की सफलता और आदित्य-L1 मिशन के बाद, अब उनके नेतृत्व में इसरो की आगामी परियोजनाएं और भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रगति के नए आयाम छूएंगे।
वी. नारायणन की नियुक्ति इसरो के लिए एक नया अध्याय है। उनके अनुभव और विशेषज्ञता से भारत की अंतरिक्ष योजनाएं और सशक्त होंगी। चंद्रयान और आदित्य जैसे मिशनों में उनकी भूमिका उनके नेतृत्व की क्षमता का प्रमाण है।
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