वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का निधन

देश के वरिष्ठ और प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने 3 जनवरी 2025 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में सुबह 3:20 बजे अंतिम सांस ली। डॉ. चिदंबरम पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और पूरे देश ने एक महान वैज्ञानिक व्यक्तित्व खो दिया है।
वैज्ञानिक जीवन और उपलब्धियां
डॉ. चिदंबरम भारत के परमाणु कार्यक्रम के शिल्पकारों में से एक थे। उन्होंने पोखरण-I (1975) और पोखरण-II (1998) परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में भारत ने विश्व मंच पर अपनी परमाणु शक्ति का प्रदर्शन किया।
एक वैज्ञानिक के रूप में, डॉ. चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष, और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव जैसे प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। उन्होंने 1994-95 में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी।
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और परमाणु ऊर्जा में योगदान
डॉ. चिदंबरम भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और देश में इस क्षेत्र को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
सम्मान और पुरस्कार
उनकी असाधारण उपलब्धियों और योगदान के लिए डॉ. चिदंबरम को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया। ये सम्मान उनकी वैज्ञानिक सेवाओं और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक हैं।
परमाणु कार्यक्रम के नायक
डॉ. चिदंबरम ने भारतीय परमाणु हथियार कार्यक्रम को मजबूती प्रदान की। पोखरण-I और पोखरण-II परीक्षणों के दौरान उनके वैज्ञानिक कौशल और नेतृत्व ने भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाने में मदद की। इन परीक्षणों ने भारत को विश्व स्तर पर एक सशक्त परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।
निधन पर शोक
उनके निधन पर वैज्ञानिक समुदाय और देश के वरिष्ठ नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है। डॉ. चिदंबरम का योगदान भारतीय विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र के लिए हमेशा स्मरणीय रहेगा।
डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का जीवन और कार्य हमें प्रेरणा देते हैं कि कैसे समर्पण और मेहनत से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
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