फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र से परिवार में हलचल: ईसापुर गांव में 12 साल से लापता युवक के मामले में हुई शिकायत

गाजियाबाद:- मोदीनगर के कस्बा निवाड़ी में हाल ही में एक अजीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें 12 साल से लापता एक युवक का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार कर लिया गया। यह मामला अब एक नया मोड़ ले चुका है, जब युवक के चाचा ने एसडीएम कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई और मामले में जांच की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
गांव ईसापुर निवासी मनवीर सिंह ने एसडीएम डॉ. पूजा गुप्ता को अपनी शिकायत में बताया कि उनका भतीजा सोनू 12 साल पहले लापता हो गया था। परिवार ने उसकी तलाश में काफी प्रयास किए, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिल सका। अब, आरोप है कि सोनू की बहनों ने उसकी मृत्यु का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर पैतृक संपत्ति में अपना नाम दर्ज करा लिया। इस मामले ने सभी को हैरान कर दिया है, क्योंकि लापता व्यक्ति के नाम पर संपत्ति में दखल देने के लिए यह न केवल धोखाधड़ी, बल्कि एक गंभीर अपराध है।
एसडीएम ने दिए जांच के आदेश
एसडीएम डॉ. पूजा गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर शिकायत में सत्यता पाई जाती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मामले में गंभीर आरोप लगे हैं, और इसे पूरी तरह से जांचा जाएगा।
निवाड़ी में भी हुआ था ऐसा मामला
यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार के फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र का मामला सामने आया हो। कुछ समय पहले, निवाड़ी कस्बे में भी एक 35 साल से लापता व्यक्ति का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर उसकी संपत्ति में नाम दर्ज कराने का मामला सामने आया था। इस मामले में भी निवाड़ी पुलिस ने सभासद समेत चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। यह मामले यह सिद्ध करते हैं कि अब लोगों के बीच संपत्ति पर कब्जा जमाने की साजिशें और धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ गई हैं।
अवैध संपत्ति हड़पने की साजिश
इन मामलों में एक बात स्पष्ट है: अवैध तरीके से संपत्ति पर अधिकार जमाने की कोशिशें अब आम हो चुकी हैं। फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों के माध्यम से लोगों की संपत्ति हड़पने की यह एक गंभीर और निंदनीय प्रक्रिया बन गई है। इस तरह के मामलों में न केवल कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन होता है, बल्कि परिवारों के बीच विवाद और मतभेद भी पैदा होते हैं।
न्याय की उम्मीद
अब एसडीएम कार्यालय और पुलिस प्रशासन पर यह जिम्मेदारी आती है कि वे इन मामलों की पूरी तरह से जांच करें और दोषियों को सजा दिलवाएं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि लोग अपनी संपत्ति और कानूनी दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर जागरूक हों और इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए कदम उठाएं।
यह मामला केवल एक परिवार की संपत्ति से संबंधित नहीं है, बल्कि यह समाज में बढ़ते हुए फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी की गंभीरता का प्रतीक है। कानून और प्रशासन को इस पर कठोर कदम उठाने होंगे, ताकि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हो और समाज में न्याय और पारदर्शिता बनी रहे।
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