आईएनएस तुशील (एफ-70): भारतीय नौसेना की ताकत में नया अध्याय

बीते सोमवार को भारतीय नौसेना में अत्याधुनिक मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशील (एफ-70) को शामिल किया गया। रूस के कलिनिनग्राद में आयोजित भव्य समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में इस युद्धपोत को भारत को सौंपा गया। इस मौके पर सिंह ने इसे भारत की बढ़ती समुद्री ताकत और सामरिक क्षमताओं का गौरवपूर्ण प्रतीक करार दिया।
हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की शक्ति का विस्तार
दुनिया के तकनीकी रूप से सबसे उन्नत फ्रिगेट्स में से एक माने जाने वाले *आईएनएस तुशील* के परिचालन में आने से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, जहां चीन (ड्रैगन) की बढ़ती गतिविधियां लगातार चिंता का विषय रही हैं।
भारत-रूस संबंधों का प्रतीक
फ्रिगेट की कमीशनिंग पर रक्षा मंत्री ने इसे भारत और रूस के दशकों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, भारत और रूस के संबंध साझा मूल्यों, आपसी विश्वास और विशेष रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं। यह युद्धपोत हमारी साझेदारी की उत्कृष्टता का उदाहरण है।
उन्नत हथियारों और तकनीक से लैस
आईएनएस तुशील को कई अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और तकनीकों से सुसज्जित किया गया है:-
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस मिसाइल की सुपरसोनिक रफ्तार इसे अद्वितीय बनाती है।
वर्टिकली लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें: लंबी दूरी पर सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम।
मध्यम दूरी की एंटी-एयर और सतह गन: दुश्मन के हवाई और सतह के खतरों को बेअसर करने में सक्षम।
क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम: बेहद कम दूरी पर उच्च प्रभाव क्षमता।
पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो और रॉकेट: समुद्र की गहराई में दुश्मन की पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए।
उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार सूट: दुश्मन के हमलों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम।
इसके अलावा, आईएनएस तुशील पर कामोव-28 और कामोव-31 जैसे उन्नत हेलीकॉप्टरों को तैनात किया जा सकता है, जो इसे बहु-आयामी युद्धक क्षमताएं प्रदान करते हैं।
तकनीकी विशेषताएं और प्रदर्शन क्षमता
125 मीटर लंबाई और 3,900 टन वजन वाले इस फ्रिगेट की गति 30 समुद्री मील से अधिक है। भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान के तहत इसे नौसेना के पश्चिमी बेड़े में शामिल किया गया है।
स्वदेशी भागीदारी
इस परियोजना में कई प्रमुख भारतीय कंपनियों ने योगदान दिया है, जिनमें ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन और जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया शामिल हैं।
आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना के शस्त्रागार में एक रणनीतिक संपत्ति है, जो समुद्री सुरक्षा और राष्ट्र की सामरिक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
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