गाजियाबाद:- 26 नवंबर: 29 अक्टूबर को जिला जज की कोर्ट में हुए लाठीचार्ज के विरोध में चल रही वकीलों की हड़ताल में मंगलवार को नया मोड़ आया। पश्चिम उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के बार प्रतिनिधियों की वर्चुअल बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि तीन सप्ताह के लिए हड़ताल स्थगित की जाएगी। हालांकि, गाजियाबाद के वकीलों ने स्पष्ट किया है कि जिला जज अनिल कुमार के खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा, और यदि 21 दिन के भीतर उन्हें हटाया नहीं जाता है, तो प्रदेशभर में वकील फिर से हड़ताल पर चले जाएंगे।
इससे पहले, 16 नवंबर को उत्तर भारत के वकीलों ने महासम्मेलन में आठ दिन की हड़ताल स्थगित करने का निर्णय लिया था, लेकिन गाजियाबाद में वकीलों ने इसका विरोध किया, जिससे हड़ताल फिर से जारी रखने का निर्णय लिया गया।
गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि 14 नवंबर को वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में प्रशासनिक न्यायमूर्ति से मुलाकात की थी, और इसके बाद उन्होंने प्रयागराज में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति से भी बातचीत की। इस दौरान, न्यायमूर्ति ने आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाएगी, लेकिन हड़ताल समाप्त होने के बाद ही कार्रवाई संभव होगी।
हालांकि, हड़ताल के स्थगन का विरोध करते हुए बड़ी संख्या में वकील बार सभागार के बाहर इकट्ठा हो गए। उनका कहना था कि इस तरह से आंदोलन को समाप्त करना ठीक नहीं है।
पुलिस ने 29 अक्टूबर को हुए लाठीचार्ज के बाद वकीलों के खिलाफ चार मामले दर्ज किए हैं, जिनमें कचहरी की चौकी जलाने और कचहरी के बाहर जाम लगाने के आरोप शामिल हैं।
गाजियाबाद की अदालतों में चार लाख मामले लंबित हैं, और हड़ताल के कारण इनकी सुनवाई प्रभावित हो रही है। रोजाना करीब 10,000 मामले सुनवाई के लिए आते हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से केवल तारीखें लग रही हैं। इससे जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ गई है, जबकि कई महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं।
हड़ताल का असर अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ा है, जैसे कि तहसीलों में बैनामे नहीं हो पा रहे, जिसके कारण शासन को स्टांप शुल्क का नुकसान हो रहा है। कचहरी में फोटो स्टेट और टाइपिस्ट भी प्रभावित हुए हैं, जिससे उनका जीवन यापन कठिन हो गया है।