स्वच्छता के सपने, कबाड़ में बदलते ई-रिक्शा

गाजियाबाद:- नगर निगम की ओर से गलियों से डोर-टू-डोर कचरा उठाने के लिए खरीदी गईं ई-रिक्शा अब अपनी स्थिति पर सवाल खड़ा कर रही हैं। 2021 में शुरू की गई इस पहल के तहत खरीदी गई 100 ई-रिक्शाओं में से लगभग 40 अब पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं और निगम के गैराज में कबाड़ के रूप में पड़ी हैं। जंग और बारिश के कारण इनकी स्थिति और भी बिगड़ गई है।
ये ई-रिक्शा महज एक साल भी सही से काम नहीं कर पाए, और अब इनके पहिए भी खराब हो चुके हैं। इनकी मरम्मत और देखभाल के लिए निगम द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वार्ड नंबर 27 के पार्षद नरेश जाटव का कहना है कि इनकी लॉग-बुक भी नहीं भरी गई और कर्मचारियों द्वारा मनमानी तरीके से ई-रिक्शा का उपयोग किया गया।
एक ई-रिक्शा की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये थी, और 100 ई-रिक्शा खरीदने में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। अब, जब इनकी वारंटी भी समाप्त हो चुकी है, तो निगम को इनकी मरम्मत या बदलने में भारी खर्च का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि, बाकी बचे 35 ई-रिक्शों की हालत भी ज्यादा बेहतर नहीं है। बैटरी जल्दी खत्म होने और रास्ते में बंद हो जाने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। कुछ ड्राइवरों का कहना है कि ओवरब्रिज पर चढ़ते समय इनकी पावर खत्म हो जाती है, जिससे इन्हें उस रास्ते पर चलाने में दिक्कत होती है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार का कहना है कि अगर ई-रिक्शा की मरम्मत हो सके, तो वह जरूर करवाएंगे। हालांकि, शहर के हर घर से कचरा उठाने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इन खराब ई-रिक्शाओं के कारण स्वच्छता अभियान की सफलता पर सवाल खड़ा हो रहा है।
Exit mobile version