रामलला प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार सुबह निधन हो गया। वह 82 साल के थे और कुछ दिनों से बीमार थे। उनका मर्णिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार किया गया।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित का प्रमुख पुजारी के रूप में चयन हुआ था। उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए था। लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में सिद्धहस्त और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे थे। लक्ष्मीकांत के निधन पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जाहिर किया। लक्ष्मीकांत दीक्षित की अध्यक्षता में 121 पंडितों की टीम ने अयोध्या अनुष्ठान किया था। इसमें काशी के 40 से अधिक विद्वान थे, जो 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में शामिल रहे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुख्य पुजारी और आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने पीएम नरेंद्र मोदी को रक्षासूत्र बांधा था। पीएम ने लक्ष्मीकांत दीक्षित का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
मिल चुके कई पुरस्कार
शुक्ल यजुर्वेद के शीर्ष विद्वान वेदमूर्ति लक्ष्मीकान्त मथुरानाथ दीक्षित का जन्म सन 1942 में मुरादाबाद (यूपी) में हुआ था। उनकी माताजी का नाम रुक्मिणी और पिताजी का नाम वेदमूर्ति मथुरानाथ दीक्षित था। वह नेपाल के अलावा भारत के अनेक शहरों में वैदिक अनुष्ठानों में बतौर आचार्य शामिल हुए। उन्हें वेद सम्राट, वैदिक भूषण, वैदिक रत्न, देवी अहिल्या बाई राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे पुरस्कार मिल चुके हैं।
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