डाक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख ठगे

नोएडा। बुजुर्ग महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगों ने 45 लाख रुपये ऐंठ लिए। महिला डॉक्टर दिल्ली की रहने वाली आरती चौधरी हैं। उनकी शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रहीहै कि ठगों के गैंग में नाइजीरियन लोग भी शामिल हैं।
सेक्टर-49 में हेल्थ क्लीनिक संचालक डॉ. आरती चौधरी ने तहरीर में बताया है कि छह मई की सुबह करीब 9:30 बजे के करीब कॉल आई। उस वक्त डॉ. आरती अपनी क्लीनिक में थीं। कॉलर ने खुद को फेडेक्स कुरियर सर्विस का कर्मचारी बताते हुए अपना नाम ईशान वर्मा बताया। उसने कहा चिकित्सक की ओर से मुंबई से थाईलैंड भेजा गया पार्सल वापस आ गया है। पार्सल को कस्टम विभाग ने जब्त कर लिया है। इसमें पांच पासपोर्ट, दो क्रेडिट कार्ड, चार किलो कपड़े और 140 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स मिली है। कॉलर ने कहा कि पार्सल में ड्रग्स की शिकायत मुंबई क्राइम ब्रांच में होगी और महिला के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई होगी। इसके बाद कथित कुरियर कर्मचारी ने कॉल को मुंबई क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दी।
फिर मुंबई क्राइमब्रांच बनकर की बात
ट्रांसफर किए गए कॉल रिसीव करने वाले शख्स ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी राजवीर बताया। पूरी बात सुनने के बाद कहा कि महिला को वीडियो कॉल के जरिये बयान रिकाॅर्ड होगा। उसने महिला से ऐप डाउनलोड कराकर बयान लिए और आधार कार्ड देखा। जालसाज ने कहा कि जांच में महिला के अकाउंट के मनी लांड्रिंग से जुड़े होने की बात सामने आई है। इसलिए जांच आगे ट्रांसफर की जा रही है। इसके बाद कॉल पर आदित्य केशव नामक व्यक्ति ने कहा कि 24 घंटे के वीडियो सर्विलांस से मामले को निपटाया जा सकता है। ऐसा नहीं करने पर महिला डॉक्टर को मुंबई आना होगा। जहां उन्हें 90 दिनों की कस्टडी में रहना होगा। जेल जाने की बात सुनकर महिला डॉक्टर डर गईं और 24 घंटे में जांच निपटाने के लिए तैयार हो गई।
नाइजीरियन गैंग पर शक
इसके बाद वीडियो काॅल पर जालसाजों ने महिला से सेटलमेंट करने को कहा और धीरे-धीरे कर 45 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। महिला ने जब ट्रांसफर हुई रकम को वापस करने को कहा तो जालसाजों ने संपर्क तोड़ दिया। इसके बाद महिला ने साइबर हेल्पलाइन 1930 और साइबर क्राइम थाने में शिकायत की। थाना प्रभारी ने बताया कि जिन खातों में रकम ट्रांसफर हुई है उन खातों की जांच की जा रही है। इस प्रकार की ठगी मुख्यत: नाइजीरियन गिरोह की ओर से की जाती है। मामले में जालसाजों के खिलाफ आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में दर्ज हुआ है। वहीं पीड़िता का कहना है कि ठगी में रकम उनकी कई वर्षों की मेहनत का परिणाम थी।
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