सावधान : डाटा लीकेंसी से हो रहीं डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की घटनाएं, जागरूकता से बचाव संभव

गाजियाबाद। साइबर ठगी मौजूदा वक्त में हर आम से लेकर खास तबके के लोगों को एक चुनौती बन चुका है। वहीं पुलिस के लिए भी यह किसी टेंशन से कम नहीं। वजह है कि साइबर ठग अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने से भी नहीं चूक रहे और छोड़ने के नाम पर लाखों वसूल रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह डाटा लीकेंसी निकलकर आई है। साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो थोड़ी सी जागरुकता इन वारदातों पर रोक लगा सकती है।

साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा ने बताया कि पूरे देश में डिजिटल अरेस्ट के केस इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि डाटा लीक हो रहा है। पिछले दिनों ही फेसबुक व इंस्टाग्राम एक घंटे के लिए बंद हुए थे। इस बीच करोडों लोगों का डाटा लीक हो गया था। इसके अलावा जोमेटो, ओला, स्वीगी समेत गेमिंग एप्लीकेशन डाउनलोड करने से भी लोगों का डाटा लीक हो जाता है। चूंकि कुछ एप्लीकेशंस जरूरत बन चुकी हैं। ऐसे में उन्हें डाउनलोड करना भी मजबूरी है लेकिन डाटा लीक के बाद भी साइबर ठगी से बचा जा सकता है।

डार्कवेब पर बिकता है डाटा
कामाक्षी के मुताबिक इंटरनेट पर डार्कवेब नाम से एक वेबसाइट है, जिसमें दुनिया के सारे गैरकानूनी काम होते हैं। हथियारों की खरीद-फरोख्त से लेकर ड्रग डील्स और आतंकवाद से जुड़े लोग इस वेबसाइट पर एक्टिव रहते हैं। यहीं से साइबर ठग भी लोगों का डेटा खरीदते हैं। एप्लीकेशन के माध्यम से लीक हुआ डाटा इसी वेबसाइट के जरिये बेचा जाता है।

ऐसे होती है ठगी
मान लीजिए किसी व्यक्ति के आधारकार्ड का डाटा साइबर ठगों ने खरीद लिया। इसके बाद उनके पास संबंधित व्यक्ति का पूरा नाम, एड्रेस पहुंच जाता है। उस आधार पर कौन सा सिमकार्ड एक्टिवेट है, यह जानकारी समेत पब्लिक पोर्टल पर अपलोड सारी जानकारी उस व्यक्ति की ठगों को मिल जाती है। इसके बाद वो संबंधित व्यक्ति को कॉल करके कहते हैं कि आपका मोबाइल नंबर किसी बड़े अपराधी या आतंकवादी या ड्रग डीलर के मोबाइल से मिला है। इस केस में आपका भी इनवाल्वमेंट है। इसी तरह धमकाते हुए संबंधित व्यक्ति को वीडियो कॉल पर आने के लिए प्रेरित करते हैं। कभी-कभी सीधे वीडियोकॉल भी करते हैं।

मूवी की तरह बनाते हैं सेटअप
ठग मूवी की तरह पूरा सेटअप बनाकर बैठते हैं। वीडियोकॉल पर आते ही उसमें दिखने लगता है कि माहौल किसी पुलिस स्टेशन जैसा है। एक व्यक्ति वर्दी पहने हुए आपसे बात कर रहा है, आसपास अन्य पुलिसकर्मी अपने कामों में व्यस्त हैं। इसके बाद ये ठग संबंधित व्यक्ति को घर आकर पकड़ने की धमकी देते हैं। यह भी कहते हैं कि हमने पकड़ा तो समाज में बेइज्जती बहुत होगी, जेल जाना पड़ेगा वो अलग। इस सबके बीच धमकाते हुए डिजिटल अरेस्ट करते हुए अपने खातों में ये ठग मोटी रकम ट्रांसफर करा लेते हैं।

साइबर ठगी से ऐसे करें बचाव
कामाक्षी के मुताबिक साइबर ठगी से बचाव के लिए जरूरी है कि ऐसी किसी भी कॉल आने पर ठग की बातों में न फंसें। सबसे पहले अपने नजदीकि पुलिस स्टेशन पहुंचकर पुलिस को पूरा मामला बताते हुए सच्चाई का पता लगाएं। किसी भी अंजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल एक साथ न रिसीव करें। उस नंबर पर पहले मैसेज करके पूछें कि आखिरकार कॉल करने वाला कौन है। पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही कॉल रिसीव करें तो बेहतर है।

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