स्वदेशी तकनीक से लैस मेट्रो: 135 किमी/घंटा की गति से एक नई उड़ान

वर्ष 2025 में मेरठ में मेट्रो ट्रेनें दौड़ाने की तैयारी तेजी से चल रही है। आरआरटीएस ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गुजरात के सांवली में निर्मित स्वदेशी तकनीक से लैस मेट्रो कोच और इंजन मेरठ के दुहाई डिपो में पहुंचाना शुरू कर दिया है। अब तक पांच मेट्रो ट्रेनें डिपो में आ चुकी हैं और उनकी टेस्टिंग भी प्रारंभ हो चुकी है।
मेरठ में 2025 तक मेट्रो ट्रेनें दौड़ने की तैयारी तेज़ी से चल रही है। आरआरटीएस ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गुजरात के सांवली में निर्मित स्वदेशी तकनीक से लैस मेट्रो कोच और इंजन मेरठ के दुहाई डिपो में पहुंचाना शुरू कर दिया है। अब तक पांच मेट्रो ट्रेनें डिपो में आ चुकी हैं और उनकी टेस्टिंग भी प्रारंभ हो चुकी है।
मेरठ में कुल 12 मेट्रो ट्रेनें चलेंगी, जिनमें से प्रत्येक में तीन डिब्बे होंगे और एक ट्रेन में 700 से अधिक यात्री सफर कर सकेंगे। एनसीआरटीसी के प्रवक्ता राजीव कुमार के अनुसार, ये ट्रेनें दिल्ली मेट्रो से तेज़ चलेंगी और 135 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ेंगी।
शताब्दीनगर में पावर सबस्टेशन तैयार हो चुका है, जबकि मोदीपुरम में दूसरे सबस्टेशन का निर्माण चल रहा है। भूमिगत टनल निर्माण पूरा हो चुका है और एलिवेटेड हिस्से में वायडक्ट का निर्माण अंतिम चरण में है। 23 किलोमीटर लंबे मेरठ मेट्रो कॉरिडोर में 18 किलोमीटर का एलिवेटेड और 5 किलोमीटर का भूमिगत हिस्सा शामिल होगा।
एनसीआरटीसी ने एल्सटॉम कंपनी के साथ 15 वर्षों के लिए अनुबंध किया है, जो मेट्रो ट्रेनसेटों के रखरखाव का जिम्मा लेगी। मेरठ की मेट्रो ट्रेनों के साथ गाजियाबाद और मेरठ के लोगों को बेहतर और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा, जो शहर के परिवहन को एक नई दिशा देगा।
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