गाजियाबाद। यूट्यूब के माध्यम से सीखकर एटीएम बदलकर फ्रॉड करने वाले तीन बदमाशों को थाना शालीमार गार्डन क्षेत्र से गिरफ्तार कर क्राइम ब्रांच ने 92 फर्जी एटीएम कार्ड, 52 हजार रुपये, स्वाइप मशीन, फर्जी नंबर प्लेट की कार समेत अन्य सामान बरामद किया है।
पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद के निर्देश पर क्राइम ब्रांच ने गाजियाबाद, एनसीआर इलाके में एटीएम बूथ में लोगों की मदद करने के बहाने उनके एटीएम बदलकर फ्रॉड करने वाले गगन कुमार निवासी बी-17 बापरौला विहार थाना नजफगढ दिल्ली, सोनू कुमार निवासी शिव पार्क खानपुर थाना नेम सराय जनपद महरौली दिल्ली और देवेन्द्र चचूला थाना दनकौर, गौतमबुद्धनगर को गिरफ्तार किया है। पुलिस की पूछताछ में बदमाश गगन ने बताया कि वह 12वीं में फेल हो गया था। उसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी बाद में प्रोपर्टी की दलाली का काम शुरू किया था,लेकिन उसमें फायदा नही हो रहा था। जिसके बाद उसने फरीदाबाद में कैफे भी चलाया पर वो भी नही चला। जिसके बाद उसने यूट्यूब से एटीएम फ्रॉड करना सीखा और मैंने अपने दोस्त सोनू को अपने साथ काम सिखा दिया। वहीं सोनू ने बताया कि उसने भी 12वीं तक ही पढाई की थी। उसके बाद रेडीमेड कपड़ों का काम करने लगा, लेकिन घाटा व उधारी होने के कारण काम छोड दिया और गगन के साथ एटीएम फ्रॉर्ड करने लगा। एटीएम फ्रॉड करने में उसका साथ देवेंद्र भी देता था। यह तीनों बदमाश मिलकर लोगों से काफी रुपए की ठगी कर चुके थे। पुलिस और क्राइम ब्रांच उनकी तलाश में काफी दिनों से थी।
पहले भी जेल जा चुका है देवेंद्र
गिरफ्तार बदमाश देवेंद्र ने बताया उसने भी दसवीं तक पढ़ाई की है वह इससे पहले नोएडा व गाजियाबाद से वाहन चोरी, लूट, आर्म्स एक्ट आदि में जेल जा चुका है। देवेंद्र पूछताछ में बताया कि मेरी दोस्ती सोनू से है। उसने मुझे एटीएम फ्रॉड का काम बताया तो मैं उसके साथ करने लगा। यह सभी तीनों गाजियाबाद, नोयडा, दिल्ली एनसीआर व अन्य क्षेत्रों में घटनाएं करते थे।
बुजुर्गों-महिलाओं को बनाते थे शिकार
फ्रॉड करने वाले गगन, सोनू और देवेंद्र एटीएम बूथों के बाहर खड़े बुजुर्ग महिलाओं और अनपढ़ मजदूरों की तलाश में रहते थे। जैसे ही कोई बुजुर्ग महिला या अनपढ़ मजदूर एटीएम बूथ में अंदर जाता था। वैसे ही वह भी पीछे से पहुंच जाते थे और मदद करने के नाम पर उनसे फ्रॉड करते थे। तीनों बदमाशों ने यह भी बताया कि वह एटीएम से फ्रॉड का काम करीब 4 साल से कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वह जब हम घटना करने आते है तो उस समय पहचान छुपाने के लिए अपनी गाड़ी की नम्बर प्लेट बदलकर-बदलकर फर्जी नम्बर प्लेट लगाकर घटनास्थल पर आते थे।