गाजियाबाद: आगरा-अहमदाबाद पुलिस ने खंगाला शातिर विजयपाल का इतिहास, कई सबूत मिले

गाजियाबाद। कार में भिखारी को जिंदा जलाने के बाद उसे अपने बेटे की लाश बताकर बीमा कंपनी से रकम ऐंठने के आरोपी विजयपाल की कुंडली खंगालने के लिए आगरा और अहमदाबाद पुलिस यहां आ पहुंची। पुलिस ने उसके ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ी जानकारी निकालने कके साथ ही उस इलाके में भी नक्शा बनाया, जहां पहले विजयपाल रहता था।
एआरटीओ कार्यालय में पुलिस की टीम को पुराना रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि विजयपाल के बेटे अनिल सिंह ने 1995 में ड्राइविंग लाइसेंस जारी कराया था। लाइसेंस बनवाने के लिए उसने अपने पहचान पत्र की प्रति और फोटो भी लगाया था। उसकी प्रमाणित प्रति लेकर पुलिस उसको केस डायरी में शामिल करेगी। इसके अलावा पुलिस की टीम लोहियानगर के बी-ब्लाक में भी पहुुंची। हालांकि, यहां अनिल सिंह के परिवार का कोई सदस्य पुलिस टीम को नहीं मिला। आसपास के लोगों के बयान पुलिस ने दर्ज किए। कुछ ट्रांसपोर्टरों से भी पुलिस की टीम ने अनिल सिंह के पिता विजयपाल के बारे में जानकारी ली। पुलिस टीम ने एलआईसी कार्यालय में भी रिकॉर्ड निकलवाया। अधिकारियों ने पुलिस टीम को बताया कि विजयपाल क्लेम जल्दी लेने के लिए कोर्ट चला गया था। कोर्ट के आदेश पर ही उनको 80 लाख रुपये मिले थे, इसके बाद उसने दो बसें खरीदकर अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू कर दिया। इस बारे में एआरटीओ राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस टीम को पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध करा दिया है।

ऐसे हुआ था हत्या-धोखाधड़ी कांड
गौतमबुद्धनगर के भट्ठा पारसौल गांव निवासी विजयपाल सिंह भाइयों से संपत्ति बंटवारा होने के बाद अपना हिस्सा लेकर 1977 में अपने गांव से गाजियाबाद आ गया था। इसके बाद उसने दिल्ली डीटीसी में नौकरी की। 2004 के अंत में विजयपाल ने अपने बेटे अनिल सिंह का एलआईसी की जीवन मित्र स्कीम के तहत बीमा कराया। इसमें कंपनी निधन होने पर चार गुना पैसा देती थी। इसी वजह से विजयपाल ने बेटे का 20 लाख का बीमा करा दिया। फिर बेटे को गुजरात भेज दिया और वहां वह राजकुमार नाम से रहने लगा। जुलाई 2006 में उसने योजना के तहत आगरा में कार में एक भिखारी को खाना खिलाने के बहाने बैठा लिया। उसको खाने में नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया और कार में आग लगा दी। थाने में उसने रिपोर्ट दर्ज कराई कि कार में उसका बेटा अनिल था, जो आगरा घूमने के लिए गया था। विधिवत गाजियाबाद में शव का अंतिम संस्कार किया। उसी आधार पर अनिल को मृत दरसाया और बीमा कंपनी से 80 लाख रुपये ले लिए। अब बीमा कंपनी ने भी रकम की ब्याज सहित वसूली के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

भाइयों ने खोला पूरा राज
पैसा खत्म होने के बाद विजयपाल दोबारा गांव पहुंच गया और अपने भाइयों के हिस्से की जमीन में अपना भी हक जताने लगा। भाइयों को इस मामले की जानकारी पहले से ही थी। इसी वजह से उन्होंने आगरा और अहमदाबाद पुलिस से इसकी शिकायत कर दी। पुलिस ने जांच कर अनिल सिंह को पकड़ा तो उसने पूरी कहानी बयां कर दी। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों से पूछताछ चल रही है।

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