श्रीहरिकोटा। इसरो ने सुबह 10 बजे गगनयान मिशन के टेस्ट व्हीकल को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 नाम दिया गया है। इसके तहत रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की गई है।
इसरो का ये मिशन 8.8 मिनट मिनट का था। टेस्ट फ्लाइट को तीन हिस्सों में बांटा गया है। अबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम। क्रू मॉड्यूल के अंदर का वातावरण अभी वैसा नहीं था जैसा मैन्ड मिशन में होगा। इस मिशन में 17 किलोमीटर ऊपर जाने के बाद श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर समुद्र में क्रू मॉड्यूल को उतारा गया। इस मिशन में वैज्ञानिकों ने यह टेस्ट किया कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी क्या ठीक तरह से काम किया। असल मिशन के दौरान रॉकेट में खराबी आने पर एस्ट्रोनॉट कैसे सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे इसकी टेस्टिंग की गई। मिशन टेस्टिंग के लिए कुल चार टेस्ट फ्लाइट भेजी जानी हैं। अब तीन फ्लाइट की टेस्टिंग बाकी है।
दो बार टला मिशन
इससे पहले आज ही दो बार मिशन को टाला गया था। इसे 8 बजे लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम ठीक नहीं होने कारण इसका टाइम बदलकर 8.45 किया गया था। लॉन्चिंग 5 सेकेंड पहले इंजन फायर नहीं हो पाए और मिशन टल गया। इसरो ने कुछ देर बाद बताया कि अब गड़बड़ी ठीक कर ली गई है। व्हीकल पूरी तरह से सेफ है। टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले गया। जब रॉकेट साउंड की स्पीड से 1.2 गुना था तो अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई गई। लगभग 17 किमी की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो गए। क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 किलोमीटर दूर ले जाया गया और श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर समुद्र में लैंड कराया गया।
2025 में होगा मैन्ड मिशन
अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे। मैन्ड मिशन के लिए इसरो ने साल 2025 की टाइमलाइन तय की है।