गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर की ओर से इलाहबाद हाइकोर्ट में डाली गई अपील मंजूर कर ली गई है। गाजियाबाद कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है। निठारी मामले में टोटल 14 केस में हाईकोर्ट ने दोषियों को बरी किया है।
ये फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएचए रिजवी की बेंच ने सुनाया है। लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सितंबर महीने में सुरक्षित कर लिया गया था। मोनिंदर सिंह पंधेर की वकील मनीषा भंडारी ने कहा, सेशन कोर्ट की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी। दोनों मुकदमों में पंधेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया है। अब पंधेर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है। कुल छह मुकदमों में सेशन ट्रायल थे। एक मुकदमा 2010 में हाईकोर्ट रद्द कर चुका है। तीन में सेशन कोर्ट ने बरी किया था। दो मुकदमों में फांसी हुई थी, जिनमें पंधेर आज बरी हुए हैं। इसमें कोली को 12 और पंधेर को 2 मामलों में राहत मिली है। सीबीआई के वकील संजय यादव ने कहा, रिम्पा हल्दर मर्डर केस में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट से सुनाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा है। इस मुकदमे में जो एविडेंस थे, वही एविडेंस बाकी मुकदमों में थे। हम हैरत में हैं कि एक जैसे साक्ष्य होने पर हाईकोर्ट ने बाकी मुकदमों में सुरेंद्र कोली को कैसे बरी कर दिया। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चौलेंज करेंगे।
इस केस में बरकरार है सजा
रिम्पा हलदर नाम की लड़की की 2005 में हत्या हुई। इस जुर्म में निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 15 फरवरी 2011 को इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। हालांकि साल-2005 और 2006 में हुए निठारी कांड में कुल 19 बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रेप के बाद हत्या हुई। इन्हें मारकर हत्यारों ने खा लिया। इसमें कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे। इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। 16 मुकदमों में सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ चुका है। 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत सुनाई और तीन में बरी किया गया। मोनिंदर पंधेर को दो मुकदमों में फांसी, एक मुकदमे में सात साल की सजा सुनाई गई और चार मुकदमों में बरी किया गया था। फांसी की सजा के खिलाफ दोनों दोषियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
ऐसे हुई थी हत्याएं
25 साल की आनंदा देवी भी इसमें एक थी। वो मोनिंदर पंधेर के घर में घरेलू सहायिका बनकर आई थी और 31 अक्टूबर 2006 को लापता हो गई। इससे पहले ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, वो भी वापस नहीं लौटी। 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली से मिला। ये पहला केस था, जब किसी मामले में मोनिंदर पंधेर और सुरेंद्र कोली फंसे थे। पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूली। 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे। खुलासा हुआ कि मोनिंदर पंधेर और सुरेंदर कोली यहां लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनकी लाश इस नाले में फेंक देते थे। नोएडा पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ रेप और हत्या के कुल 19 मामले दर्ज किए। इसमें से 16 मामलों में कोर्ट के फैसले आ चुके हैं।
नौकर के तौर पर रहता था सुरेंद्र
नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी गांव है। यहां क्-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंधेर रहता था। मोनिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था। साल-2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी। 2003 तक फैमिली भी साथ रही, इसके बाद मोनिंदर छोड़कर बाकी लोग पंजाब शिफ्ट हो गए। मोनिंदर घर में अकेला रहता था।
इसी दौरान उसने अल्मोड़ा (उत्तराखंड) का सुरेंद्र कोली बतौर नौकर घर में रख लिया। मोनिंदर सिंह अक्सर इस कोठी पर कॉलगर्ल बुलाता था। एक बार सुरेंद्र कोली ने वहां आई एक कॉलगर्ल से शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा जताई तो कॉलगर्ल ने ऐसा कुछ कह दिया जो सुरेंद्र को बुरा लगा। सुरेंद्र ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और लाश को बराबर में नाले में ठिकाने लगा दिया। कोठी में ये पहला मर्डर था। इसके बाद तो जो लड़की इस कोठी में आई, वो जिंदा वापस नहीं गई। धीरे-धीरे इस इलाके से कई बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने उन्हें आखिरी बार इसी कोठी के बाहर देखा था, लेकिन ठोस सुबूत न होने से पुलिस मोनिंदर-सुरेंद्र पर हाथ नहीं डाल पाई।