नई दिल्ली। उग्रवाद के खिलाफ केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा एक्शन लिया, जहां नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) को गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया गया। पिछले काफी वक्त से सरकार इस पर विचार कर रही थी।
गृह मंत्रालय के मुताबिक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत ये घोषणा की गई है, जो 3 अक्टूबर से प्रभावी है। अभी दोनों संगठनों पर 5 साल के लिए बैन लगाया गया है। उसके बाद इस पर दोबारा विचार किया जाएगा। वहीं इन दोनों संगठनों से जुड़े गुटों, विंगों को भी बैन कर दिया गया है। सरकार के मुताबिक दोनों संगठन विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों में लिप्त थे। इसके अलावा समर्थन जुटाने के लिए वो कई अन्य गैरकानूनी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते थे। हाल ही के दिनों में दोनों संगठन कई हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हुए, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक है।
नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा क्या है?
बता दें कि नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा भारत के त्रिपुरा में स्थित एक प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन है । इसके 800 से ज्यादा सदस्य माने जाते हैं। इसका उद्देश्य भारत से अलग एक स्वतंत्र त्रिपुरा राज्य स्थापित करना है, जिसके लिए वह पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही गतिविधियों को अंजाम देता है। एनएलएफटी अपना अलग झंडा रखता है, जिसमें तीन रंग (हरा, सफेद और लाल) हैं। झंडे का हरा रंग त्रिपुरा पर संप्रभुता का प्रतीक है, इसी भूमि पर वे दावा करते हैं। झंडे का सफेद हिस्सा उस शांति को प्रदर्शित करता है, जिसे वह पाना चाहते हैं। वहीं लाल रंग वह उनकी हिंसक गतिविधियों को दर्शाता है। उनके ध्वज में एक तारा भी है, जिसे वह संघर्ष के दौरान मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में दर्शाते हैं।
ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स क्या है?
ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) भी एक त्रिपुरी राष्ट्रवादी उग्रवादी समूह था, जो भारत के त्रिपुरा राज्य में सक्रिय था। इसकी स्थापना 11 जुलाई 1990 को रंजीत देबबर्मा के नेतृत्व में पूर्व त्रिपुरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक सदस्यों के एक समूह द्वारा की गई थी। एटीटीएफ को भारत एक आतंकवादी संगठन मानता है। दक्षिण एशियाई आतंकवाद पोर्टल के अनुसार, एटीटीएफ के लगभग 90% प्रशासन हिंदू हैं और बाकी ईसाई हैं। कहा जाता है कि इस समूह का गठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) की सशस्त्र शाखा के रूप में किया गया था, लेकिन यह अपने ही संगठन में विभाजित हो गया। समूह का मुख्यालय बांग्लादेश के ताराबोन में था। अक्टूबर 2018 में, भारत सरकार ने हिंसक गतिविधियों की वजह से ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स और द नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा की निंदा की थी।
जिसके बाद एटीटीएफ और एनएलएफटी को 2019 में अपने हालिया कार्यों का बचाव करने का मौका दिया गया था। भारतीय गृह मंत्रालय की एक टीम ने दोनों संगठनों की जांच की थी। इसके बाद जनवरी 2019 में एमएचए ट्रिब्यूनल ने एनएलएफटी और एटीटीएफ पर, उनके सभी गुटों, विंगों और फ्रंटल संगठनों के साथ, उनकी हिंसक और विध्वंसक गतिविधियों की वजह से 3 अक्टूबर को पांच साल का नया प्रतिबंध लगा दिया था।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर भी लग चुका है बैन
इससे पहले केंद्र सरकार ने इसी तरह की कार्रवाई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ की थी। वो भी कई गैरकानूनी गतिविधियों और विदेशी फंडिंग से जुड़े मामलों में लिप्त था। उस पर 5 साल का बैन लगा है। इसके साथ ही देशभर में उसके कार्यलयों को भी बंद करवा दिया गया।