चंद्रमा पर जहां उतरा चंद्रयान-3 उस पॉइंट को ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा, पीएम मोदी का ऐलान

नई दिल्ली/बेंगलूर। अपनी ग्रीस की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार सुबह सीधे एथेंस से बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट पहुंचे और हवाई अड्डे के बाहर ‘जय विज्ञान जय अनुसंधान’ का नारा लगाया। इसके बाद वह इसरो मुख्यालय के लिए रवाना हुए।

इसरो के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज आपके बीच आकर खुशी महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा, ‘मैं आप सभी से मिलने के लिए काफी बेसब्र था। मैं ब्रिक्स के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका चला गया, लेकिन मेरा मन पूरी तरह से आपके साथ ही था। कभी कबार लगता है कि मैं आपके साथ अन्या कर देता हूं। बेसब्री मेरी और मूसीबत मेरी। सुबह-सुबह आपको यहां आना पड़ा।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमारे मून लैंडर ने अंगद की तरह अपना पैर जमा लिया है। एक तरफ विक्रम का विश्वास है, दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। वहां की तस्वीरें अद्भुत हैं।’ पीएम ने कहा, ‘मानव सभ्यता में पहली बार इंसान उस स्थान की तस्वीर अपनी आंखों से देख रहा है। यह दिखाने का काम भारत ने किया है। आप सभी वैज्ञानिकों ने किया है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारत वहां पहुंचा, जहां कोई नहीं पहुंचा था। पीएम मोदी ने कहा, ‘यह आज का भारत है। निर्भीक भारत, जुझाड़ू भारत। यह वो भारत है जो नया सोचता है, नए तरीके से सोचता है। जो डार्क डोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी फैला देता है।’

पीएम मोदी ने कहा, ’23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब हिंदुस्तान नैशनल स्पेश डे के रूप में मनाएगा। ये दिन देशवासियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा।’ जब पीएम ने नैशनल स्पेस डे का ऐलान किया, तो इसरो के हॉल में मौजूद वैज्ञानिक बहुत देर तक तालियां बजाते रहे। इसके बाद पीएम ने जहां चंद्रयान-3 उतरा उस पॉइंट का नामकरण किया। उन्होंने कहा कि चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का फैसला लिया है। जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस Point को ‘शिवशक्ति’ के नाम से जाना जाएगा।

लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सीएम सिद्धारमैया को न बुलाने पर कहा, ‘इतनी दूर से आना था, मैं यहां आदरणीय मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और राज्यपाल साहब उन सबको रिक्वेस्ट किया था कि आप इतनी जल्दी- जल्दी कष्ट मत उठाइए। मैं तो वैज्ञानिकों को प्रणाम करके चला जाऊंगा। तो मैंने उनको रिक्वेस्ट की थी कि जब मैं विधिवत रूप से कर्नाटक आऊंगा तो मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री जी जरूर प्रोटोकॉल निभाएं लेकिन उन्होंने सहयोग किया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन व्यक्त करता हूं। ये समय मेरे संबोधन का नहीं है, मेरा मन उन वैज्ञानिकों के पास पहुंचने को उत्सुक है। मैं आपको धन्यवाद करता हूं कि बेंगलुरु के लोगों ने अभी भी उस पल को उमंग और उत्साह से जीकर दिखा रहे हैं।’

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