अंग्रेजों की लूट ने ही तो गरीब किया, चंद्रयान पर BBC के सवाल पर आनंद महिंद्रा ने सुना दी खरी-खरी

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत की धाक जमा दी है। विक्रम लैंडर बुधवार शाम को जैसे ही चांद की सतह पर उतरा, भारत ने इतिहास रच दिया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इस बीच सोशल मीडिया पर चंद्रयान की कवरेज वाला बीबीसी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस वीडियो पर मजेदार ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि भारत की गरीबी के लिए काफी हद तक अंग्रेजी हुकूमत जिम्मेदार है जिसने कई दशकों तक भारत में संसाधनों की लूट की।

आनंद महिंद्रा ने लिखा, ‘सच यह है कि भारत की गरीबी में दशकों के औपनिवेशिक शासन का योगदान है, जिसने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की दौलत को बहुत ढंग से लूटा। हमारी जिस सबसे कीमती चीज को लूट लिया गया, वह कोहिनूर हीरा नहीं था बल्कि हमारा आत्मसम्मान और अपनी क्षमताओं पर विश्वास है। इसकी वजह यह है कि औपनिवेशक सत्ता का लक्ष्य यही था कि उसके द्वारा शासित लोग यह मान लें कि वह कमतर हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम टॉयलेट और स्पेस रिसर्च दोनों पर ही खर्च करें। इसमें कोई विरोधाभास नहीं है।’

चांद के सफर से हमारा सम्मान और आत्मगौरव लौटा
महिंद्रा ने ट्वीट में आगे लिखा, ‘चांद का सफर तय करन से हमारा सम्मान और आत्मगौरव वापस लौटा है। इससे हमें विज्ञान के जरिए प्रगति का भरोसा मिला है। यह हमें गरीबी से ऊपर उठने की आकांक्षा प्रदान करता है। आकांक्षाओं की गरीबी ही सबसे बड़ी गरीबी होती है।’

क्या है इस वीडियो में?
बीबीसी का यह वीडियो 4 साल पुराना है, इस वीडियो में एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए।

चंद्रयान मिशन पर कुल खर्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा है।

भारत की तुलना में दूसरे देशों का मून मिशन काफी खर्चीला रहा है। अमेरिका ने अपना लूनर मिशन साल 1960 में शुरू किया था। तब उसके मिशन का कुल खर्च 25.8 अरब डॉलर था। अगर आज के हिसाब के देखें तो यह 178 अरब डॉलर बैठता है। रुपये के हिसाब से देखें को यह रकम करीब 14 लाख करोड़ रुपये बैठती है। यानी इसरो के मुकाबले नासा के मून मिशन का खर्च करीब 3,000 गुना ज्‍यादा था। रूस ने भी 1976 के बाद हाल में चांद पर अपना मिशन भेजा था। उसके लूना-25 का बजट करीब 1

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