अंग्रेजों के जमाने कानून खत्म, गृहमंत्री ने पेश किए 3 नए विधेयक

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज संसद में 3 विधेयक पेश किए। ये बिल देश की कानून व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाले हैं। शाह ने बिल पर बोलते हुए कहा कि अब देश में अंग्रेजों द्वारा लाए गए कानून नहीं चलेंगे और भारतीय आपराधिक कानूनों में बदलाव होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।’

अमित शाह ने कहा कि ’18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। हमने इस पर 158 बैठकें की हैं।

राजद्रोह कानून होगा खत्म
शाह ने कहा कि राजद्रोह कानून को अंग्रेजों के शासन को बचाने के लिए ये कानून बनाया गया था। शाह ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि एक ऐतिहासिक निर्णय इस सरकार ने किया है और राजद्रोह को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया गया है। यहां लोकतंत्र है सबको बोलने का अधिकार है। इस कानून में इसके साथ-साथ अलगाव सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववाद भारत की संप्रभुता एकता को चैंलेज करना ये सबको कानून के अंदर पहली बार अब इसकी व्याख्या हो रही है और पूरी संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार भी है। जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के संज्ञान पर कोर्ट इसका ऑर्डर करेगा पुलिस अधिकारी इसका आदेश नहीं कर पाएंगे। कोर्ट में सुनवाई के बाद होगा।

झूठी पहचान बताकर शादी करने वाले को कठोर सजा का प्रावधान
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं के निपटान के लिए कानून बनाया गया है। शादी, रोजगार, पदोन्नति के झूठे वादे और गलत पहचान बताकर जो यौन संबंध बनाते थे उसको अपराध की श्रेणी में पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार ला रही है। गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जो आज नहीं है। 18 साल से कम आयु की बच्चियों के मामले में मृत्युदंड का भी प्रावधान है।

भगोड़ों को अब मिलेगी सजा
शाह ने कहा कि ट्रायल में गायब रहने वाले अपराधियों को लेकर भी सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि कई सारे केसों मे दाऊद वाछिंत है, वो भाग गया, उसका ट्रायल नहीं होता है। हमने तय किया सेशन कोर्ट के जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी। दुनिया में वो कहीं भी छिपे, उसे सजा सुनाई जाएगी। अगर उसे सजा से बचना है तो वह न्याय की शरण में आए। इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ने वाला है।

मॉब लिंचिंग पर भी सजा वाला कानून
अमित शाह ने बिल पेश करते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग का बड़ा शोर मचा है, हमने उसको बड़ा केयरफुली देका है। मॉब लिंचिंग के लिए भी 7 साल की सजा या आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान इस कानून में किया गया है।

स्नैचरों पर चलेगा कानून का डंडा
शाह ने कहा कि स्नैंचिंग के लिए चाहे महिलाओं की चेन हो या कुछ और कोई प्रावधान नहीं था। बहुत सारे लोग छिप जाते थे क्योंकि वो चोरी नहीं थी। स्नैचिंग का प्रावधान नहीं था। अब स्नैचिंग का भी प्रावधान ले आया गया है। 324 में गंभीर चोट के कारण निष्क्रियता की स्थिति हो जाती थी तो महज 7 साल की सजा थी। किसी को थोड़ा लग जाए और वह एक सप्ताह में अस्पताल से बाहर आ जाए तो उसकी सजा को थोड़ा अलग किया गया है। अगर हमेशा के लिए अपंगता आती है तो इसकी सजा 10 साल या आजीवन कारावास।

अब एसपी ही बताएंगे कोर्ट को सबकुछ
शाह ने कहा कि डीजीपी को समय नहीं हो या फिर कोई डीजीपी साहब रिटायर हो गया। तो अब उसको बुलाने की जरूरत नहीं है। अब नए कानून के तहत उस समय के एसपी फाइल देखकर कोर्ट को बताएंगे। घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की का भी हम प्रावधान जोड़ रहे हैं। संगठित अपराध के लिए एक नया प्रावधान जोड़ रहे हैं, जो अंतरराज्यीय गैंग और संगठित अपराध के विरूद्ध एक कठोर सजा का प्रावधान है।

सजा माफी पर भी अब शर्तें
शाह ने कहा कि अपराधियों जो देश छोड़कर भाग जाते थे, उसके विरूद्ध 10 साल की सजा का प्रावधान लाया है। सजा माफी को राजनीतिक यूज करने वाले बहुत किस्से आते थे, अब हमने कह दिया है कि अगर किसी को सजा माफ करनी है मृत्यु की सजा को आजीवन कारावास और आजीवन कारावास की सजा को 7 साल तक ही माफ कर सकते हैं। 7 स साल के कारावास को 3 साल ही माफ कर सकते हैं, अभी बिहार में कुछ मामले सामने आए हैं, किसी प्रकार से राजनीतिक रसूख वाले लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा उनको भी सजा भुगतनी पड़ेगी।

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