प्रयागराज। ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर इलाहाबाद हा कोर्ट का फैसला गुरुवार को आ गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई सर्वेक्षण के लिए वाराणसी न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है। फैसला आने के बाद साफ हो गया कि अब ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिसर के ASI सर्वेक्षण को लेकर मस्जिद समिति की चुनौती खारिज कर दी।
वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश ने ज्ञानवापी सर्वे का आदेश जारी किया था। इसके बाद एएसआई की टीम ने 24 जुलाई को सर्वे का कार्य शुरू किया। सर्वे का कार्य शुरू होते ही मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे पर तत्काल रोक लगाते हुए 26 जुलाई शाम 5 बजे तक फैसला सुनाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट ने 3 अगस्त को फैसला सुनाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आने वाले फैसले पर हर किसी की नजर टिक गई है।
मुस्लिम पक्ष की क्या दलील?
सुनवाई के दौरान सबसे बड़ी चिंता इसी बात को लेकर थी कि अगर सर्वे किया जाएगा तो क्या उससे ज्ञानवापी को कोई नुकसान पहुंच जाएगा? मुस्लिम पक्ष ने भी अपनी याचिका में इसी चिंता को रेखांखित किया था। जोर देकर कहा गया था कि किसी भी कीमत पर सर्वे को इजाजत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि इससे ज्ञानवापी के ठांचे को खतरा है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं जिनमें एसआई अधिकारियों के हाथ में फावड़ दिखा। उसी तस्वीर के आधार पर कहा गया कि सर्वे करना सुरक्षित नहीं है।
मुस्लिम पक्ष ने क्या सबूत दिखाए थे?
इसके अलावा मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि उन्हें डर है कि सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाकर मस्जिद को ध्वस्त किया जा सकता है। उनका कहना था कि ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मामले में अभी तक चार्ज फ्रेम तक नहीं हो सके हैं। लेकिन सर्वे का आदेश जारी कर दिया गया। उनका कहना था कि विवादास्पद जगह पर ASI के लोग कुदाल लेकर मौजूद दिखे। उनका कहना था कि सर्वे की मांग करने वाली याचिका जिन लोगों की तरफ से दायर की गई उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ये बता सके कि यहां मस्जिद से पहले मंदिर था। फिर कोर्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। अदालत का ऐसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
ASI ने क्या सफाई दी?
दूसरी तरफ एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक त्रिपाठी सुनवाई के दौरान दो टूक कहा है कि ज्ञानवापी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचने वाला है। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा है कि सर्वे के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा, ऐसे में नुकसान का कोई सवाल नहीं उठता। अब क्या इन दलीलों को कोर्ट स्वीकार करता है या नहीं, इसका फैसला आज हो जाएगा।