नई दिल्ली। साल 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। शहीद हुए जवानों के परिवारों को सरकारी नौकरी और मुआवजे सरकार की ओर से दिए गए। हालांकि, कुछ परिवारों को अभी नौकरी नहीं मिल पाई है। संसद में इस बाबत सरकार से सवाल पूछा गया, जिसका जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया है।
केंद्रीय मंत्री राय ने कहा, ‘प्रत्येक परिवार को पूरा मुआवजा दिया गया है, जिसमें केंद्र या राज्य सरकारों और व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट दाताओं द्वारा दी गई या दान की गई 1.5 करोड़ रुपये से तीन करोड़ रुपये तक की धनराशि शामिल है। जबकि आठ शहीदों के परिजनों को कुल मुआवजा 1.5 करोड़ रुपये से दो करोड़ रुपये के बीच मिला है और 29 को दो करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये के बीच मिला है। राय ने कहा कि तीन शहीदों के परिवार को तत्काल 2.5 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये के बीच मुआवजा मिला था।
अब तक कितनों को मिली नौकरी
पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। अब तक 19 शहीद जवानों के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है। तीन और की नियुक्ति पाइपलाइन में है। करीब एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है। नित्यानंद राय ने कहा कि इनमें से कुछ बच्चे चार साल तक के हैं। इनमें सीआरपीएफ हेड कांस्टेबल मनोज के बेहरा की बेटी और कांस्टेबल भागीरथ सिंह का सात साल का बेटा शामिल है।
कब हुआ था पुलवामा टेरर अटैक?
2019 के फरवरी माह में जब पूरा देश आम चुनाव को लेकर सियासी गहमागहमी में व्यस्त था तभी 14 तारीख को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया। 300 किलो विस्फोटक से लदी एक गाड़ी ने काफिले में शामिल बस में टक्कर मार दी थी। यह एक आत्मघाती हमला था। इस वीभत्स हमले में 40 वीर जवानों की शहादत हुई थी। पूरी दुनिया में इस हमले की तीखी निंदा की गई थी। भारत ने अगले ही कुछ दिनों में पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक कर इसका बदला ले लिया था।