न्यायपालिका और संविधान पर विवादित टिप्पणी कर फंसे यति नरसिंहानंद, सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस

गाजियाबाद। डासना देवी के महंत और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के आरोप में उनको नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता शची नेल्ली की याचिका पर नोटिस जारी किया। वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन द्वारा दायर याचिका में 14 जनवरी 2022 को यति नरसिंहानंद द्वारा दिए गए इंटरव्यू के अंश दिए गए थे। जहां उन्हें यह कहते हुए सुना गया था, ‘हमें सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है।’
उन्हें आगे यह कहते हुए सुना गया कि जो लोग भारत के सर्वोच्च न्यायालय में विश्वास करते हैं वे कुत्ते की मौत मरेंगे।’

यह इंटरव्यू दिसंबर 2021 में हरिद्वार में आयोजित एक धर्म संसद में हरिद्वार अभद्र भाषा की घटना के संदर्भ में दिया गया था। याचिका में कहा गया, ‘अवमाननाकर्ता की बहुत बड़ी पहुंच और प्रभाव है और उनके बयान को उनके अनुयायियों और सहानुभूति रखने वालों ने दूर-दूर तक फैलाया है। इससे इस न्यायालय के प्रति व्यापक असंतोष फैल गया है, जिससे प्राधिकरण कमजोर हो गया है और इसकी महिमा बदनाम हो गई है।’

अदालत की अवमानना ​​अधिनियम की धारा 15 के तहत नरसिंहानंद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है, ‘सशस्त्र और उग्रवादी गिरोह से आम लोगों और वादियों को आसन्न खतरा है। जो न तो कानून का डर जानते हैं और न ही कानून तोड़ने के परिणाम के बारे में जानते हैं।

अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए किसी को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​की कार्यवाही को विनियमित करने के नियम 1975 के नियम 3 (सी) के तहत भारत के अटॉर्नी जनरल की सहमति प्राप्त करनी होगी। फ़िलहाल मामले में तत्कालीन अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पिछले साल 22 जनवरी को याचिकाकर्ता को अवमानना ​​​​मामला दायर करने की सहमति दी थी।

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