नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि देश एक कानून से चल सकता है। जिसके बाद इस पर एक बार फिर से बहस छिड़ चुकी है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान नें भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान आरिफ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को पूरे देश में लागू किया जाए। सभी लोगों को इसका समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूसीसी किसी धर्म को टारगेट नहीं करता है, बल्कि यह देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात करता है। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने जो कहा है, हालांकि देर हो चुकी है लेकिन कभी नहीं से देर बेहतर है। वह जो करने की कोशिश कर रहे हैं उसे (UCC) संविधान में सरकार का कर्तव्य बताया गया है। लोग कहते हैं कि हमारा राष्ट्रीय धर्मग्रंथ हमारा संविधान है तो फिर समान नागरिक संहिता का विरोध क्यों? उन्होंने कहा कि हलाला का जिक्र कुरान में नहीं है। इस्लाम अवैध संबंधों की इजाजत नहीं होता है।
इससे पहले अभी हाल ही में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि जैसे कि इस देश में हिंदू कोड बिल बीते 70 सालों से लागू है, और वह समान रूप से हिंदू, सिख, बौद्ध और जैनों पर भी लागू है, लेकिन वहां आज तक कोई विवाद नहीं हुआ क्योंकि यह आपके निजी व्यवहार को टारगेट नहीं करता है। खान ने कहा कि जिस तरह से केरल में शादी होती है वैसे शादी यूपी में नहीं होती, दोनों जगह शादी होने की परंपरा अलग-अलग हैं, दोनों की संस्कृति अलग-अलग है, लेकिन बावजूद इसके यह कानून दोनों को प्रभावित नहीं करता है। कोई भी कानून आपकी संस्कृति, रीति-रिवाज, अनुष्ठान और प्रथा को टारगेट कर ही नहीं सकता।
बता दें देश में एक समान कानून बनाने को लेकर लॉ कमीशन ने बीते दिनों देश के नागरिकों से 15 जुलाई तक लिखित में उनके सुझाव मांगे थे। एक नॉटिफिकेशन जारी करके लॉ कमीशन ने कहा था कि देश के सभी नागरिक एक समान नागरिक संहिता के लिए अपने-अपने सुझाव लिखित में 15 जुलाई तक भेजें। इसके बाद इस चर्चा ने बीते दिनों तब और जोर पकड़ लिया जब 27 जून को पीएम मोदी ने भोपाल में कहा कि भारत के मुसलमान भाई बहनों को ये समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं। हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? उन्होंने कहा कि हमें इस बात को याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।
मोदी ने कहा कि शीर्ष अदालत बार-बार कह रहा है कि कॉमन सिविल कोड लाओ, लेकिन ये वोटबैंक के भूखे लोग, वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमंदों मुसलमानों का शोषण किया है लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई। उन्हें आज भी बराबरी का हक़ नहीं मिलता।