नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत की तो कांग्रेस नेता इस पर हमलावर हो गए। कांग्रेस नेताओं ने इसे ध्यान भटकाने वाली रणनीति बताया। इसी बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बयान सामने आया है।
चिदंबरम ने कहा कि मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता को उचित ठहराने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा एक परिवार और राष्ट्र के बीच की गई तुलना त्रुटिपूर्ण है। कल पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए पूछा था कि क्या एक परिवार दो तरह के नियमों से चलता है? चिदंबरम ने एक परिवार और राष्ट्र की तुलना को सही नहीं बताया है। पीएम की टिप्पणी के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूसीसी की वकालत राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गई है। चिदंबरम ने कहा, “एक परिवार खून के रिश्तों से जुड़ा होता है, जबकि एक राष्ट्र को एक संविधान द्वारा एक साथ लाया जाता है जो एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है। यहां तक कि एक परिवार में भी विविधता है। भारत के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी है।” उन्होंने ट्वीट किया, “समान नागरिक संहिता एक आकांक्षा है और ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसे “एजेंडा-संचालित बहुसंख्यकवादी सरकार” द्वारा लोगों पर थोपा जा सके।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “माननीय प्रधान मंत्री की यूसीसी के लिए मजबूत वकालत मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, घृणा अपराध, राज्यों के साथ भेदभाव और अधिकारों से वंचित करने वाले मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक सोची समझी रणनीति है। लोगों को सतर्क रहना होगा। सुशासन में विफल होने के बाद, भाजपा मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और अगला चुनाव जीतने का प्रयास करने के लिए यूसीसी को आगे ला रही है।”
पीएम मोदी ने की यूसीसी की वकालत
बता दें कि पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूसीसी की वकालत की थी। पीएम ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या।