पीएम मोदी के बयान पर भड़के ओवैसी तो भाजपा ने दिया जवाब, कहा- वे संविधान नहीं, सिर्फ कुरान पढ़ते हैं

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर मंगलवार को बड़ा बयान दिया। इसके बाद विपक्षी दलों में इसे लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। पीएम के इस बयान पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की आपत्ति के बाद बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने उन पर जुबानी हमला बोलते हुए कुरान से पहले संविधान पढ़ने की नसीहत दे डाली।

बीजेपी नेता और वकील गौरव भाटिया ने एक टीवी डिबेट में कहा कि ओवैसी को संविधान इसलिए समझ नहीं आता है क्योंकि वह संविधान से पहले कुरान पढ़ते हैं। उन्होंने कहा, अगर ओवैसी की कानून की डिग्री फर्जी नहीं है तो उनको सबसे पहले विधि आयोग को यूसीसी पर 15 जुलाई से पहले लिखित सुझाव भेजना चाहिए।

पीएम के बयान पर क्या बोले ओवैसी?
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे लिखा, “मोदी जी ये बताइए कि क्या आप “हिन्दू अविभाजित परिवार” (HUF) को खत्म करेंगे? इसकी वजह से देश को हर साल 3064 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं और दूसरी तरफ आपके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं, उनका रोजगार छीन रहे हैं, उनके घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं, उनकी लिंचिंग के जरिए हत्या कर रहे हैं और उनके आरक्षण की मुखालिफत भी कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “आप डिफरेंट सेट ऑफ रूल की बात करते हैं तो यूनाइटेड हिंदू फैमिली को ही सिर्फ टैक्स क्यों दिया जा रहा है। क्या ये संविधान के राइट ऑफ इक्वालिटी के खिलाफ नहीं है। इस्लाम में शादी एक कॉंट्रेक्ट है हिंदू में जन्म-जन्म का साथ, यूनिफॉर्म सिविल कोड की नहीं, हिंदू सिविल कोड की बात है। भारत के मुसलमान को टारगेट करना मकसद है।”

गौरतलब है कि अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वर्तमान में समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो वो घर नहीं चल पाएगा। ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? उन्होंने आगे कहा था कि संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।

Exit mobile version