लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने 23 जून को होने जा रही विपक्षी पार्टियों की बैठक पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार द्वारा विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।
बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर लिखा है कि देश महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद-हिंसा आदि से ग्रस्त है। यहां बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है। यही नहीं उन्होंने कि कहा कि वैसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियां, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की है, अपने गिरेबान में झांककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ‘मुंह में राम बग़ल में छुरी’ आख़िर कब तक चलेगा?
उन्होंने कहा कि यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी हैं लेकिन विपक्षी पार्टियों के रवैए से ऐसा नहीं लगता। वह यहां अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर या सही मायने में चिंतित नहीं हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यह लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या वाकई बदलाव ला पाएंगी। बैठक में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं।
आपको बता दें कि शुक्रवार को पटना में विपक्षी एकता मीटिंग हैं। इसमें दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, झारखंड, कश्मीर से आने वाले ज्यादातर नेता शिरकत करेंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, भाकपा नेता डी राजा और भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिव सेना (बाला साहेब गुट) सुप्रीमो उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल होंगे। एकता मीटिंग कई ऐसे नेता भी शामिल होंगे जिसकी एक-दूसरे नहीं बनती। इसी लेकर मायावती ने तंज किया है।