गाजियाबाद। वैशाली से मोहननगर मेट्रो रूट प्रॉजेक्ट निरस्त हो सकता है है। बताया जा रहा है कि रैपिड सेवा के शुरू हो जाने से इसकी उपयोगिता कम हो जाएगी। डीए अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ रैपिड सेवा शुरू होने के बाद वैशाली से मोहननगर के बीच मेट्रो प्रोजेक्ट की कोई उपयोगिता नहीं रहेगी, दूसरी तरफ प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाला फंड की बचत होगी।
जीडीए वीसी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि रैपिड X के आ जाने के बाद वैशाली से मोहननगर रूट की उपयोगिता कम हुई, क्योंकि वैशाली की तरफ आने वाला मेट्रो ट्रैफिक आनंद विहार के रैपिड X में इंटरचेंज करके आसानी से रेडलाइन पर आ सकता है। हालांकि नोएडा सेक्टर-62 से इंदिरापुरम वसुंधरा होते हुए अभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का कोई उचित माध्यम नहीं है, इसलिए इस रूट पर काम करने की जरूरत है।
उनका कहना है कि यदि नोएडा सेक्टर-62 से साहिबाबाद के पुराने एलाइनमेंट में बदलाव की जरूरत होगी तो वह भी डीएमआरसी के साथ मिलकर किया जाएगा, ताकि वसुंधरा के एरिया को कवर किया जा सके। उन्होंने कहा कि जल्द ही डीएमआरसी के साथ इस मसले को लेकर मीटिंग होगी। उनका दावा है कि यदि वैशाली से मोहननगर रूट ड्रॉप किया जाता है तो मेट्रो एक्सटेंशन प्रॉजेक्ट की लागत भी कम हो जाएगी। फिर इसे बनाया जाना भी आसान हो जाएगा। मेट्रो प्रॉजेक्ट की फंडिंग के लिए शासन स्तर पर एक दौर की बैठक हो चुकी है। जल्द ही अगले दौर की बैठक होने की संभावना है। शासन इसमें करीब 27 फीसदी तक फंडिंग कर सकता है।
2058 करोड़ रुपये की होगी बचत
यदि वैशाली से मोहननगर मेट्रो रूट को जीडीए ड्रॉप कर देता है तो मेट्रो प्रॉजेक्ट की लागत में 2058 करोड़ रुपये की बचत होगी, जबकि नोएडा सेक्टर-62 से लेकर साहिबाबाद के बीच 1727 करोड़ रुपये का ही खर्च आएगा। यदि इसके एलाइनमेंट में कुछ बदलाव होता है तो इसकी लागत बढ़ सकती है।
अभी है यह एलाइनमेंट
नोएडा सेक्टर-62, वैभवखंड, इंदिरापुरम, शक्तिखंड, वसुंधरा सेक्टर-5 होते हुए साहिबाबाद का रूट एलाइनमेंट डीपीआर में फाइनल किया गया। जीडीए वीसी का मत है कि इस पुराने एलाइनमेंट में कुछ बदलाव करते हुए वसुंधरा के पूरे एरिया को कवर किया जा सकता है। अब देखना होगा कि डीएमआरसी सर्वे करके इसके लिए कौन सा एलाइनमेंट तय करती है।