दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को राउज एवेन्यू कोर्ट शुक्रवार खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि उनकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति ‘गंभीर रूप से बाधित’ हो सकती है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता की जमानत याचिका पर 24 मार्च को आदेश सुरक्षित रखने वाले विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने कहा कि वह इस समय उन्हें रिहा करने के पक्ष में नहीं हैं। न्यायाधीश ने कहा, ‘इस प्रकार, उपरोक्त चर्चा से यह स्पष्ट है कि आवेदक ने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई थी। वह उक्त साजिश के उद्देश्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए उक्त नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में प्रमुखता से शामिल था। इस प्रकार, अभियोजन पक्ष की तरफ से लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक इकट्ठे किए गए सबूतों के अनुसार, आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है।’ कोर्ट ने 34 पन्नों के अपने आदेश में कहा, ‘… यह अदालत मामले की जांच के इस स्तर पर आवेदक को जमानत पर रिहा करने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि उसकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति भी गंभीर रूप से बाधित होगी। इसलिए, आवेदक की ओर से दायर की गई यह जमानत याचिका खारिज की जाती है।’
सिसोदिया ने पहले यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि न तो उनके भागने का जोखिम है और न ही सीबीआई को आबकारी नीति से संबंधित कथित अनियमितताओं की जांच में उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक मिला है। सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि हालांकि सिसोदिया के भागने का जोखिम नहीं है, लेकिन वह ‘निश्चित रूप से’ गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों को नष्ट करने की स्थिति में हैं।
गौरतलब है कि मनीष सिसोदिया तीन अप्रैल तक सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को 2021-22 दिल्ली आबकारी नीति मामले के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं की कथित संलिप्तता के सिलसिले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।