गाजियाबाद। जनपद में फर्जी पावर ऑफ अटार्नी पर जमीन की रजिस्ट्री करने के आरोप में चार उपनिबंधकों (Deputy Registrars) को सस्पेंड कर दिया गया है। सदर तहसील के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में 16 हजार से ज्यादा दूसरे राज्यों की पावर ऑफ अटार्नी कराई गई। इन सभी में नियमों को दर किनार किया गया। इस मामले में एक सब रजिस्ट्रार पहले ही सस्पेंड हो चुका है। माना जा रहा है कि कुछ और अधिकारी इस जांच में फंस सकते हैं।
4 जनवरी 2023 को प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन वीना कुमारी ने गाजियाबाद व नोएडा में पॉवर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया था। शासन को शक था कि इन दोनों जिलों में कई राज्यों की पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन के जरिये संपत्ति के अवैध ट्रांसफर में किसी बड़े गैंग का हाथ है। सामने आया कि किसी दूसरे जिलों की संपत्तियों के मुख्तारनामे फरीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली आदि के निवासियों ने कराए हैं। नोएडा व गाजियाबाद में इस तरीके की करीब 25 हजार से ज्यादा संपत्तियों की पावर ऑफ अटॉर्नी कराई गई। शासन ने उप निबंधकों की भूमिका पर भी शक जाहिर किया था। इस पूरे प्रकरण की SIT से जांच कराने का आदेश दिया गया।
विवेक श्रीवास्तव (अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व) ने बताया कि शासन ने पावर ऑफ अटार्नी के मामले में चार सब रजिस्ट्रार को सस्पेंड किया है। जिन सब रजिस्ट्रारों को सस्पेंड किया गया है, वे रविंद्र मेहता, अवनीश राय, सुरेश चंद्र मौर्य और नवीन राय हैं।
वहीं रविंद्र मेहता सदर तहसील में करीब पांच साल से तैनात थे। सब रजिस्ट्रार हनुमत प्रसाद और एआईजी स्टांप केके मिश्रा को एक महीना पहले ही शासन से अटैच किया जा चुका है।निलंबन के कौन-कौन से आधार बनाए गए हैं यह शासन से पत्र आने के बाद पता चलेगा। फिलहाल इनका काम बाकी अन्य सब रजिस्ट्रार के जरिए दिखवाया जाएगा।
डूब क्षेत्र में संपत्ति बिक्री पर रोक का तोड़ निकाला
दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा में हिंडन और यमुना नदी का हजारों एकड़ डूब क्षेत्र (खादर) है। इस क्षेत्र में दोनों जनपदों के जिला प्रशासन ने संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई हुई है। NGT ने भी स्पष्ट कह रखा है कि डूब क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों ने इसका तोड़ पॉवर ऑफ अटॉर्नी के रूप में ढूंढ निकाला है। वे नए तरीके से मालिकाना हक दूसरे को ट्रांसफर कर रहे हैं। इस वजह से एकाएक गाजियाबाद-नोएडा में पॉवर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ी है।