धर्मांतरण कानूनों के खिलाफ तीस्ता की याचिका पर सुनवाई का केंद्र ने किया विरोध

नई दिल्ली। केंद्र ने हाईकोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ द्वारा राज्य सरकारों द्वारा पारित धर्मांतरण कानूनों के खिलाफ याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी हैं और विभाजनकारी राजनीति करती हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक एफिडेविट दाखिल की है।

गृह मंत्रालय ने एनजीओ ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ द्वारा दायर एक याचिका के लिखित जवाब में कहा, “याचिकाकर्ता दंगा प्रभावित लोगों की पीड़ा का फायदा उठाने के लिए भारी धन इकट्ठा करने का दोषी है, जिसके लिए आपराधिक कार्यवाही की गई है। तीस्ता सीतलवाड़ और याचिकाकर्ता के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मामले चल रहे हैं।”

आगे कहा, “सार्वजनिक हित की सेवा की आड़ में याचिकाकर्ता जानबूझकर और गुप्त रूप से जासूसी करता है, समाज को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के प्रयास में विभाजनकारी राजनीति करता है। याचिकाकर्ता संगठन की इसी तरह की गतिविधियां असम सहित अन्य राज्यों में चल रही हैं।” हलफनामे में कहा गया है कि ”याचिकाकर्ता यहां सार्वजनिक हित में कार्य करने का दावा करता है।”

इसमें कहा गया है कि “याचिकाकर्ता जानबूझकर समाज को धार्मिक और सांप्रदायिक रेखाओं में विभाजित करने के प्रयास में विभाजनकारी राजनीति करता है, और होशपूर्वक और गुप्त रूप से जासूसी करता है। याचिकाकर्ता संगठन की इसी तरह की गतिविधियां अन्य राज्यों में भी पाई जाती हैं। वर्तमान में यह गतिविधि गुजरात और असम में चल रही है।”

वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने NGO की ओर से तर्क दिया है कि ये राज्य कानून किसी व्यक्ति के विश्वास और जीवन साथी की पसंद के अधिकार में अनुचित हस्तक्षेप करते हैं। सिंह ने कहा कि हर राज्य के कानून का उपयोग दूसरे के “बिल्डिंग ब्लॉक” के रूप में किया जाता है ताकि वह अपने लिए अधिक “जहरीला” कानून बना सके।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने पहले याचिकाकर्ताओं को एक आधिकारिक फैसले के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित अपने मामलों को उच्चतम न्यायालय में ट्रांसफर करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने के लिए कहा था। अदालत 3 फरवरी को मामले की सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमत हुई।

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