गाजियाबाद में एक ही शख्स पर ब्लैक और व्हाइट फंगस का डबल अटैक

प्रतीकात्मक चित्र

गाजियाबाद। जनपद में ब्लैक और व्हाइट फंगस का पहला केस सामने आया है। कोविड-19 की नई लहर के खतरे के बीच अब इस केस ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है।

गाजियाबाद के हर्ष ENT हॉस्पिटल से 55 साल के व्यक्ति का सैंपल 24 दिसंबर को नोएडा की पैथोलॉजी कंस्लटेंसी सर्विस लैब में भेजा गया था। 27 दिसंबर को जांच में ये सैंपल फंगस पॉजिटिव पाया गया है। हर्ष ENT हॉस्पिटल के डॉक्टर BPS त्यागी ने बताया कि मरीज में ब्लैक और व्हाइट दोनों तरह का फंगस पाया गया है। डॉक्टर के मुताबिक नंगी आंख से इन फंगस का पता करना नामुमकिन है। इसके लिए नाक की एंडोस्कोपी की जाती है, जिसके बाद इसका पता चलता है। शक होने पर सैंपल पैथोलॉजी लैब भेजा जाता है, जिसकी रिपोर्ट के बाद पता चल पाता है कि मरीज को क्या बीमारी है।

स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉक्टर आरके गुप्ता ने कहा कि इस मरीज का कोविड से कोई संबंध नहीं है। ये फंगस नॉन कोविड मरीज को भी हो सकता है, इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है। मरीज की हिस्ट्री से पता चला है कि इसको नाक से ब्लड आया था। जांच कराने पर उसमें फंगस की पुष्टि हुई है।

बता दें ब्लैक फंगस कोरोना के उन मरीजों में पाया जाता है, जिन्हें बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हों जबकि व्हाइट फंगस के केस उन मरीजों में भी संभव हैं, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ। ब्लैक फंगस आंख और ब्रेन को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, जबकि व्हाइट फंगस आसानी से लंग्स, किडनी, आंत, पेट और नाखूनों को प्रभावित करता है। इसके अलावा ब्लैक फंगस ज्यादा डेथ रेट के लिए जाना जाता है। इस बीमारी में डेथ रेट 50% के आसपास है यानी हर दो में से एक व्यक्ति की जान जाने का खतरा है। लेकिन व्हाइट फंगस में डेथ रेट को लेकर अभी तक कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

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